दोस्तों इस पोस्ट में हम जानेंगे इस्पात स्टील उत्पादन की विधियां जैसे सीमेंटेशन प्रक्रम बेसेमर प्रक्रम क्रुसिबल प्रोसेस ओपन हर्थ प्रोसेस विद्युत प्रोसेस आदि के बारे में |
Steel-Utpadan-Ki-Vidhi |
doston is post mein ham jaanenge ispaat ya steel utpaadan kee vidhiyaan jaise seementeshan prakram besemar prakram krusibal proses opan harth proses vidyut proses aadi ke baare mein|
इस्पात (स्टील) उत्पादन की विधियां | Manufacturing Process Of Steel
इस्पात (स्टील) उत्पादन की मुख्यतः पांच विधियां प्रयोग में लाई जाती हैं जो निम्नलिखित हैं |
- सीमेंटेशन प्रक्रम (Cementation Process)
- बेसेमर प्रक्रम (Bessemer Process)
- क्रुसिबल प्रक्रम (Crucible Process)
- ओपन हर्थ प्रक्रम (Open Hearth Process)
- विद्युत प्रक्रम (Electric Process)
सीमेंटेशन प्रक्रम (Cementation Process)
इस विधि में पिटवा लोहे की एक छड़ को चारकोल के साथ भट्टी में डालकर लगभग 900 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान तक गर्म किया जाता है |
यह तापमान इस्पात की क्वालिटी के आधार पर 10 दिन तक रखा जा सकता है | इस प्रकार रखने से चारकोल की परत कार्बन के रूप में पिटवा लोहे की छड़ पर जम जाती है |
इसके बाद पिटवा लोहे की छड़ को ठंडा कर दिया जाता है, इससे जो स्टील प्राप्त होता है उसे बिलिस्टर इस्पात/स्टील (Blister Steel) कहते हैं |
शियर इस्पात/स्टील(Seyar Steel)
बिलिस्टर इस्पात के टुकड़ों को बोरेक्स और रेत/बालू के साथ पुणे गर्म किया जाता है और आपस में वेल्डिंग किया जाता है इसके बाद ड्राइंग के अनुसार संक्रिया करके विभिन्न आकारों में बदल दिया जाता है, इस प्रकार जो इस्पात बनाया जाता है उसे शियर इस्पात/स्टील कहते हैं |
दोहरा शियरिंग इस्पात/स्टील(Double Sharing Steel)
यदि शियर इस्पात को गर्म किया जाए तो जो इस्पात बनेगा उसे दोहरा शियरिंग इस्पात कहते हैं |
इस प्रकार के इस्पात/स्टील का उपयोग अच्छे क्वालिटी के औजार एवं उपकरण बनाने के लिए किया जाता है |
बेसेमर प्रक्रम (Bessemer Process)
इस विधि में पिंगले हुए ढ़लवा लोहे को एक बेसेमर कनवर्टर में भरकर उसके ऊपर से गर्म वायु के झोंके छोड़े जाते हैं, जिसके कारण धातु से कार्बन तथा अन्य अशुद्धियां जलकर बाहर निकल जाती है |
बेसेमर कनवर्टर एक अंडे के आकार का बना होता है, जिसमें अंदर की तरफ अग्नि सह ईटों का अस्तर लगा होता है तथा इसके निचली सतह पर वायु के लिए सुराख या टियर्स लगे होते हैं |
इस कनवर्टर को चारों तरफ किसी भी कोण पर घुमाया जा सकता है | एक निश्चित कोण पर रखकर इसमें पिंगला हुआ ढलवा लोहा(Cast Iron) डाला और निकाला जा सकता है फिर इस कनवर्टर को सीधा करके टियर्स से हवा दी जाती है, जो बुलबुलों के रूप में धातु में से ऊपर निकलती है |
यह गर्म वायु के साथ क्रिया करके मिश्रित अशुद्धियों को ऑक्साइड में बदल देती है |
भट्टी से सेलेग आदि अशुद्धियों को चिमनी के द्वारा बाहर निकाल दिया जाता है |
बेसेमर कनवर्टर का तापमान 2500 डिग्री सेल्सियस तक रखा जाता है, जिससे गंधक/सल्फर (Sulfer) तथा फास्फोरस की अशुद्धियां जल जाती है | इसके बाद इसको कुछ देर तक रोककर धातु का नमूना लेकर कार्बन मात्रा की जांच के लिए भेजा जाता है|
क्रुसिबल प्रक्रम (Crucible Process)
इस विधि में एक बर्तन क्रुसिबल के रूप में प्रयोग किया जाता है |
इस विधि में इसमें बिलिस्टर इस्पात के टुकड़ों को भरकर उच्च तापमान पर गर्म किया जाता है, जिससे इस्पात में उपस्थित अशुद्धियां जलकर दूर हो जाती हैं |
इसके बाद पिंगले हुए स्टील को सांचों में भर दिया जाता है |
इस विधि से जो इस्पात प्राप्त होता है उसे ढलवा इस्पात (Cast Steel) कहते हैं |
ओपन हर्थ प्रक्रम (Open Hearth Process)
इस विधि से ढलवा इस्पात/Cast Steel अथवा कच्चे लोहे/Pig Iron को पिघला कर उसमें उपस्थित कार्बन तथा अन्य अशुद्धियों को दूर किया जाता है |
इस विधि से कार्बन मैग्नीज तथा सिलिकॉन को ऑक्सिडाइज करने के लिए लाल हेमेटाइट (Red Hematite) का प्रयोग किया जाता है इसके साथ फेरो मैग्नीज का भी प्रयोग किया जाता है |
इस विधि से इस्पात से भंगुरता का गुण खत्म करके इसे धातुवर्धक बनाया जाता है |
ओपन हर्थ (Open Hearth)
ओपन हर्थ एक प्रकार की आयताकार बाथ होती है, जिसके सामने वाले भाग में कई चार्जिंग दरवाजे होते हैं और इसके पीछे की तरफ एक टेपिंग छेद होता है |इसके नीचे एक रीजेनरेटिंग चेंबर होता है, जो वायु तथा गैस को जब इसमें प्रवेश कराया जाता है तो दोनों के मिलने पर फ्लेम उत्पन्न करता है जिसकी लो धीरे से नीचे की तरफ जाती है तथा बाथ की सतह को स्पर्श करती है और धातु से कार्बन और अन्य अशुद्धियों को जलाकर दूर कर देती है |
इसमें उपयोग में लाई फ्लेम अथवा लौ को दो सुराखों और चिमनी के रास्ते से बाहर निकाला जाता है | इस विधि में कच्चे लोहे के साथ इस्पात स्क्रैप का भी प्रयोग किया जा सकता है |
इस विधि में रासायनिक क्रिया धीमी होने के कारण अच्छा नियंत्रण संभव होता है |
इस विधि में जब उचित कार्बन रह जाता है तो प्रक्रम को बंद किया जा सकता है |
विद्युत प्रक्रम (Electric Process)
इस विधि का प्रयोग इस्पात (Steel) को जल्दी बनाने के लिए किया जाता है |
इस विधि का उपयोग साफ पिंगली हुई धातु की अंतिम रिफायनिंग करने के लिए तथा इस्पात में विशेष गुण लाने के लिए तथा मिश्रित तत्वों को बढ़ाने के लिए विद्युत प्रक्रम का प्रयोग किया जाता है |
इस विधि से कार्बन इस्पात के साथ दूसरे मिश्रण तत्व बढ़ाए जाते हैं |
इस प्रक्रम में विद्युत भट्टी का प्रयोग किया जाता है, जिसमें कार्बन इलेक्ट्रोड प्रयोग किए जाते हैं इन इलेक्ट्रोडो के द्वारा विद्युत तरंगें भट्टी में प्रवेश करती हैं |
इस भट्टी को चलाने के लिए अधिकतर प्रत्यावर्ती धारा (A.C.) प्रयोग में लाई जाती है |
यह भट्टी अंदर से डोलोमाइट या मैग्नेसाइट अथवा अग्नि सह ईटों की बनी होती है |
इस भट्टी के ऊपर एक ढक्कन लगा होता है, जिसमें इलेक्ट्रॉड डालने के लिए एक छेद बना होता है |
इस भट्टी में कच्चा लोहा तथा लौह चूर्ण डाला जाता है तथा इलेक्ट्रॉड को धारा देने के बाद विद्युत और उत्पन्न किया जाता है इस इलेक्ट्रॉड के द्वारा लगभग 2000 डिग्री सेल्सियस ताप तक प्राप्त किया जाता है इस विधि से 2 स 180 टन धातु बनाने के लिए 1 से 5 घंटे का समय लगता है |
इस भट्टी का पेंदा अर्ध गोल होने की कारण इसे रोलर्स पर सरलता से घुमाकर 15 डिग्री के कोण पर टेढ़ा करके धातु को उड़ेल दिया जाता है |
इसका एक छेद (Hole) स्लेग को बाहर निकालने के लिए तथा दूसरा छेद शुद्ध धातु को बाहर निकालने के लिए होता है|
इस पोस्ट में हमने जाना इस्पात स्टील उत्पादन की विधियां जैसे सीमेंटेशन प्रक्रम, बेसेमर प्रक्रम, क्रुसिबल प्रोसेस, ओपन हर्थ प्रोसेस, विद्युत प्रोसेस, आदि के बारे में |
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Thank You sir
जवाब देंहटाएंSir aapne l d process ke baate me bhi thoda bataiye sir
जवाब देंहटाएंLD process ke baate me
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