ढलवा लोहा | ढलवा लोहे के प्रकार, और उपयोग | Cast Iron And Types Of Cast Iron

 

Is Post Mein Ham Jaanenge Dhalava Loha Aur Dhalava Lohe Ke Gun, Dhalava Lohe Ka Upayog Evam Dhalava Lohe Kee Utpaadan Vidhi, Kyoopola Bhattee (Chupol Furnachai)Aur Dhalava Lohe Kee Seejaning



दोस्तों इस पोस्ट में हम जानेंगे ढलवा लोहा और ढलवा लोहे के गुण, ढलवा लोहे का उपयोग एवं ढलवा लोहे की उत्पादन विधि, क्यूपोला भट्टी (Cupola Furnace)और ढलवा लोहे की सीजनिंग (Seasoning Of Cast Iron) आदि के बारे में |

ढलवा लोहा (Cast Iron)

ढलवा लोहे को अंग्रेजी भाषा में कास्ट आयरन Cast-Iron  कहा जाता है |
ढलवा लोहे में कार्बन की मात्रा दो रूपों में पाई जाती है-एक फ्री कार्बन तथा दूसरी संयुक्त कार्बन
जिस ढलवा लोहे में संयुक्त कार्बन अधिक होता है, वह कठोर होता है और उसके उपर आसानी से मशीनन (Machining) नहीं किया जा सकता है|
तथा जिस ढलवा लोहे में फ्री कार्बन की मात्रा अधिक होती है वह मुलायम होता है और इसी आसानी से मशीनन किया जा सकता है |

ढलवा लोहा किस भट्टी से प्राप्त होता है

ढलवा लोहा क्यूपोला भट्टी (Cupola Furnace) से प्राप्त होता है |
कच्चे लोहे (Pig Iron) और ढलवा लोहे की स्क्रैप को कोयले तथा चूना पत्थर के साथ क्यूपोला भट्टी (Cupola Furnace) मैं निश्चित अनुपात में भरकर 1250 डिग्री सेंटीग्रेड 1350 डिग्री सेंटीग्रेड तक गर्म करके प्राप्त किया जाता है, जिसे सांचों में भरकर एकत्रित कर लिया जाता है |

क्यूपोला भट्टी (Cupola Furnace)

क्यूपोला एक प्रकार की ऐसी भट्टी होती है, जिसको मृदु इस्पात (Mild Steel) की प्लेटों से बनाया जाता है और इसके आंतरिक भाग पर अग्निसह ईटों (Fire Brtcks) का अस्तर लगाया जाता है |
क्यूपोला भट्टी की ऊंचाई 5 मीटर से 10 मीटर तथा व्यास 1 मीटर से 3 मीटर तक होता है|
इस भट्टी को बनाने के लिए 6 मिली मीटर से 10 मिली मीटर तक मृदु इस्पात की चादर काम में ली जाती है |
इस भट्टी के अंदर कच्चा लोहा (Pig Iron) और ढलवा लोहे की स्क्रेप, कोयला और चूने के पत्थर को 2:4:1 के अनुपात में डालकर 1250 डिग्री सेंटीग्रेड से 350 डिग्री सेंटीग्रेड तक गर्म किया जाता है | गर्म होने से लोहा पिघलता है, इस पिंगले हुए लोहे को सांचों में भर दिया जाता है | यही ढलवा लोहा (Cast Iron) होता है |
क्यूपोला भट्टी से एक बार में 2 से 4 टन तक ढलवा लोहा तैयार किया जा सकता है |

क्यूपोला भट्टी की कार्यविधि (Functions Of Oupola Furnace)

इस भट्टी में कच्चे लोहे को धातु चिप्स के रूप में डालते हैं |
इसमें सबसे पहले भट्टी के पेंदे में आग जलाकर इसे चार्ज कर लिया जाता है | इसके बाद कोयले की एक परत डाली जाती है |
तथा इसके बाद धातु और लोहा चिप्स की एक परत और बाद में तूने पत्थर की एक परत लगाकर 1350 डिग्री सेंटीग्रेड तक गर्म किया जाता है |
भट्टी के गर्म होने पर कच्चा लोहा पिघलता है और नीचे बैठ जाता है तथा बाकी अशुद्धियां ऊपर आ जाती हैं |
अब इस पिंगले हुए लोहे को सांचों में ढाल दिया जाता है |और इस प्रकार हमें ढलवा लोहा प्राप्त होता है |
भट्टी से प्राप्त ढलवा लोहे में 2 से 4% तक कार्बन रहता है तथा इसके अलावा 0.8 से 3% सिलिकन,0.5% फास्फोरस, 0.1% से 0.2% तक गंधक तथा 0.5% से 1% तक मैग्नीज की अशुद्धियां मिली हुई रहती हैं |

ढलवा लोहे की गुण (Properties Of Cast Iron)

ढलवा लोहे में पाये जाने वाले गुण निम्नलिखित हैं
  • ढलवा लोहा भंगूर प्रकृति का होता है |
  • इस में कार्बन की मात्रा 2% से 4% तक होती है|
  • इसको फोर्ज नहीं किया जा सकता है|
  • इसमें जंग लगने की संभावना कम होती है |
  • इसमें आघातवर्धनीयता तथा तन्यता का गुण नहीं पाया जाता है |
  • इस का गलनांक लगभग 1150 डिग्री सेंटीग्रेड से 1200 डिग्री सेंटीग्रेड तक होता है |
  • इसमें खिंचाव शक्ति कम तथा दबाव शक्ति अधिक होती है|
  • कास्ट आयरन खारे पानी में मुलायम हो जाता है |
  • यह ठंडा होने पर सिकुड़ता है |
  • ढलवा लोहे में प्रत्यास्थता का गुण नहीं होता है |
  • यह आघात या चोट सहन नहीं कर सकता है |
  • ढलवा लोहे का तनन सामर्थ्य कम होता है |
  • इसमें तनन सामर्थ्य लगभग 1.26 से 1.57 भीतर टन/ सेंटीमीटर होता है |

ढलवा लोहे का उपयोग (Use Of Cast Iron)

ढलवा लोहा/कास्ट आयरन के मुख्य उपयोग निम्नलिखित हैं|
  1. कास्ट आयरन का अधिकतर उपयोग मशीन के आधार (Base) एवं अन्य पुर्जे बनाने के लिए किया जाता है |
  2. इसका उपयोग इंजन तथा अन्य ऑटोमोबाइल पुर्जे (Parts) बनाने में किया जाता है |
  3. ढलवा लोहे का उपयोग वॉइस, बी ब्लॉक, तथा सरफेस प्लेट आदि बनाने के लिए भी किया जाता है |

ढलवा लोहे के प्रकार (Types Of Cast Iron)

ढलवा लोहा पांच प्रकार का होता है| जो निम्नलिखित हैं |
  1. सलेटी ढलवा लोहा (Grey Cast Iron)
  2. वाइट ढलवा लोहा (White Cast Iron)
  3. मोटल्ड ढलवा लोहा (Mottled Cast Iron)
  4. आघातवर्धनीय ढलवा लोहा (Malleable Cast Iron)
  5. चिल्ड ढलवा लोहा (Chaild Cast Iron)

सलेटी ढलवा लोहा (Grey Cast Iron)

यह ढलवा लोहा सलेटी (Grey) रंग का होता है |
इसमें कार्बन की मात्रा 3% से 4% तक होती है, जिससे फ्री कार्बन की अपेक्षा संयुक्त कार्बन कम होता है |
सलेटी ढलवा लोहा दूसरे प्रकार के ढलवा लोहे की अपेक्षा कम नरम होता है, तथा इस पर आसानी से मशीनिंग क्रिया की जा सकती है |

सलेटी ढलवा लोहे का उपयोग

इसका अधिकतर उपयोग मशीनों के बेड और फ्रेम, सिलेंडर, तथा पाइप आदि बनाने में किया जाता है |

वाइट ढलवा लोहा (White Cast Iron)

यह ढलवा लोहा सफेद रंग का होता है |
इस में कार्बन की मात्रा 2% से 4% तक होती है |
इसमें फ्री कार्बन की अपेक्षा संयुक्त कार्बन की मात्रा अधिक होती है |
सलेटी ढलवा लोहे की अपेक्षा यह अधिक कठोर होता है इसलिए इस पर आसानी से मशीनिंग क्रिया नहीं की जा सकती है |
यह कम घिसता है |

सलेटी ढलवा लोहे का उपयोग

इसका अधिकतर उपयोग पिटवा लोहा (Wrought Iron) बनाने के लिए किया जाता है |

मोटल्ड ढलवा लोहा (Mottled Cast Iron)

इस तरह के ढलवा लोहे में कठोरता तथा सामर्थ्य का गुण मध्यम होता है |
इस लोहे में फ्री कार्बन की मात्रा तथा संयुक्त कार्बन की मात्रा बराबर बराबर होती है |

मोटल्ड ढलवा लोहे का उपयोग

इसका उपयोग ऐसे पुर्जे बनाने के लिए किया जाता है, जिन पर मशीनिंग क्रिया आसानी से की जा सके |
तथा उनकी कठोरता और सामर्थ्यता भी बनी रहे |

आघातवर्धनीय ढलवा लोहा (Malleable Cast Iron)

आघातवर्धनीय ढलवा लोहे मैं भंगुरता के गुण को कम कर दिया जाता है | तथा इसकी आघातवर्धनीयता तथा टफनेस बढ़ा दी जाती है |
यह लोहा श्वेत ढलवा लोहे से बनाया जाता है |श्वेत ढलवा लोहे को इस्पात के बॉक्स में लोह आक्साइड के साथ 900 डिग्री सेंटीग्रेड से 950 डिग्री सेंटीग्रेड ताप तक गर्म किया जाता है |
यह तापमान ढलाई के अनुसार 5 से 30 घंटे तक रखा जा सकता है |
इस प्रकार जो ढलवा लोहा प्राप्त होता है वह मुलायम और टफ होता है |और इसमें सामर्थ्यता, आघातवर्धनीयता तथा तन्यता भी बढ़ जाती है |

आघातवर्धनीय ढलवा लोहे का उपयोग

इसका उपयोग हल्की ढलाईयो (Casting) के लिए किया जाता है |

चिल्ड ढलवा लोहा (Chaild Cast Iron)

इस लोहे को सलेटी ढलवा लोहे से बनाया जाता है |
इस लोहे को बनाने के लिए सलेटी ढलवा लोहे को दोबारा पिंगला कर ठंडे सांचों में भरकर एकदम ठंडा कर दिया जाता है |जिसके कारण ढलाई की बाहरी सतह कठोर हो जाती है|

चिल्ड ढलवा लोहे का उपयोग

इस प्रकार के ढलवा लोहे का उपयोग ऐसे मशीनिंग पुर्जे बनाने के लिए किया जाता है, जिन की बाहरी सतह कठोर रखनी होती है |

ढलवा लोहे की सीजनिंग (Seasoning Of Cast Iron)

सीजनिंग करने के लिए ढलाई (Casting) को खुले वातावरण में कई महीनों तक रखा जाता है, जिससे सर्दी गर्मी लगने से उसकी सीजनिंग हो जाती है |
सीजनिंग के पश्चात पुर्जे (Parts) के ऊपर दूसरे प्रकार की मशीनरी क्रियाएं की जा सकती है |

कास्ट आयरन की सीजनिंग क्यों आवश्यक है ?

ढलवा लोहे में कार्बन की मात्रा अधिक होने तथा दूसरी अशुद्धियां होने के कारण कास्टिंग करने के पश्चात पुर्जो में थोड़ा सा विरूपण (Distortion) आ सकता है इसलिए ढलाई (Casting) के बाद पुर्जो कि सीजनिंग करना आवश्यक होता है |


दोस्तों इस पोस्ट में हमने जाना ढलवा लोहा और ढलवा लोहे के गुण, ढलवा लोहे का उपयोग एवं ढलवा लोहे की उत्पादन विधि, क्यूपोला भट्टी (Cupola Furnace)और ढलवा लोहे की सीजनिंग (Seasoning Of Cast Iron) आदि के बारे में | आपको हमारा यह पोस्ट कैसा लगा अगर इस पोस्ट से संबंधित आपका कोई सुझाव या शिकायत है तो कृपया हमें कमेंट करें धन्यवाद |

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