पिटवा लोहा (Wrought Iron)और पिटवा लोहे के गुण

 

दोस्तों इस पोस्ट में हम जानेंगे पिटवा लोहे (Wrought Iron) के बारे में की पिटवा लोहा कैसे प्राप्त किया जाता है तथा पिटवा लोहा के गुण क्या होते हैं | एवं कच्चे लोहे और पिटवा लोहे में अंतर आदि |
is post mein ham jaanenge pitava lohe (wrought iron) ke baare mein kee pitava loha kaise praapt kiya jaata hai tatha pitava loha ke gun kya hote hain | evan kachche lohe aur pitava lohe mein antar aadi

पिटवा लोहा (Wrought Iron)

पिटवा लोहा सबसे शुद्ध लोहा होता है | पिटवा लोहा में कार्बन की मात्रा 0.15% से भी कम होती है |
इसे रोट आयरन भी कहां जाता है | पिटवा लोहे को कच्चे लोहे (Pig Iron) अथवा श्वेत ढलवा लोहे (White Cast Iron) को भट्टी में दोबारा पिंघलाकर बनाया जाता है | इसे पिघलते समय सीधे कोयले के संपर्क में नहीं लाया जाता है|

पिटवा लोहे को किस भट्टी से प्राप्त किया जाता है

पिटवा लोहे को पुडलिंग भट्टी मैं तैयार किया जाता है |

पुडलिंग भट्टी से पिटवा लोहा कैसे प्राप्त करने की विधि

पुडलिंग भट्टी में कच्चे लोहे (Pig Iron) अथवा श्वेत ढलवा लोहे (White Cast Iron) को पिघलने के लिए एक तरफ आग जलाई जाती है, जिससे आग की लपटों और गर्म वायु पास में अलग स्थान पर रखें हुए कच्चे लोहे या ढलवा लोहे की स्क्रैप को पिघला देती है |


ऐसा करने से कोयले से कार्बन की मात्रा लोहे में मिल जाती है | ऐसा करने से लोहे में उपस्थित कार्बन कार्बनिक अम्ल गैस के रूप में बदल जाता है और सिलिकॉन ऑक्साइड के रूप में ऊपर तैरने लगता है |
इसके बाद स्लैग को भट्टी से बाहर निकाल लिया जाता है तथा धातु को स्पंजी रूप (Spongy Form) मैं बाहर निकाल लेते हैं तथा इस स्पंजी रूप धातु को चोट मारी जाती है, जिसके कारण से इस अशुद्धियां बाहर निकल जाती हैं |
इसके बाद धातु की ब्लूम रूप को रोलिंग द्वारा शुद्ध पिटवा लोहे की छड़ के रूप में प्राप्त कर लिया जाता है |

पिटवा लोहे के गुण | Properties Of Wrought Iron In Hindi

पिटवा लोहा में निम्नलिखित गुण पाए जाते हैं |
  1. यह शुद्ध लोहा होता है |
  2. इसका गलनाक 1500 डिग्री सेंटीग्रेड होता है |
  3. इस में कार्बन की मात्रा लगभग 0.12% से 0.25% तक होती है |
  4. पिटवा लोहे की तनन सामर्थ्य मध्यम (3-15-3.94 मीट्रिक टन प्रति सेंटीमीटर) होती है |
  5. इसमें आघातवर्धनीयता (Malleability), चिमडपन (Toughness), तन्यता तथा प्रत्यास्थता (Elasticity) का गुण होता है |
  6. इसको खारे पानी से अधिक हानि नहीं पहुंचती है |
  7. इसको स्टील की तरह ने तो कठोर बनाया जा सकता है और ना ही इसे टैम्पर किया जा सकता है |
  8. सफेद रंग होने पर यह ज्यादा मुलायम हो जाता है इस स्थिति में इसे आसानी से फोर्ज तथा वैल्ड किया जा सकता है |
  9. यह उष्मा तथा विद्युत का सुचालक होता है |

कच्चे लोहे और पिटवा लोहे में अंतर | difference between cast iron and wrought iron

कच्चा लोहा वह लोहा होता है जिसे पिघलाया जाता है और एक सांचे में ढाल  दिया जाता है | और फिर ठंडा होने दिया जाता है, आमतौर पर कच्चे लोहे में दो से 4% तक कार्बन की मात्रा होती है, यह सबसे खराब क्वालिटी का लोहा होता है | और यह कठोर एवं भंगुर प्रकृति का होता है |
जबकि पिटवा लोहा वह लोहा है | जिसको औजारों के साथ काम करने और आकार देने के लिए पहले से ही नरम  बनाया जाता है जिससे उसे आकार देने में आसानी रहे | पिटवा लोहे में कार्बन की मात्रा 0.15% से भी कम होती है। और यह रेशेदार प्रकृति का होता है | पिटवा लोहा थकान का प्रतिरोध करता है और इसमें कच्चा लोहा की तुलना में अधिक तनन शक्ति होती है।

इस पोस्ट में हमने जाना पिटवा लोहे (Wrought Iron) के बारे में की पिटवा लोहा कैसे प्राप्त किया जाता है तथा पिटवा लोहा के गुण क्या होते हैं | एवं कच्चे लोहे और पिटवा लोहे में अंतर आदि के बारे में |
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