स्नेहक (LUBRICANTS) के गुण तथा प्रकार

 

इस पोस्ट में हम जानेंगे स्नेहक(lubricants) क्या होते है लुब्रिकेंट्स के उद्देश्य तथा lubricants कितने प्रकार के होते हैं |

स्नेहक क्या होते हैं (introduction of lubricants)

जब दो पुर्जे (parts) आपस में रगड़ खाकर चलते हैं तो उनके बीच उत्पन्न होने वाले घर्षण को कम करने के लिए जो तरीके अपनाए जाते हैं उन्हें स्नेहक (lubricants) कहां जाता है |
जब किसी मशीन के दो पुर्जे (parts) आपस में रगड़ खाकर चलते हैं तो जल्दी घिस जाते हैं और खराब हो जाते हैं इन पुर्जो (parts) के बीच घर्षण को कम करने के लिए स्नेहको का प्रयोग किया जाता है|
स्नेहक के उचित प्रयोग से इनमें घर्षण कम होता है जिससे यह पुर्जे अधिक समय तक खराब नहीं होते तथा कम घिसते हैं|
स्नेहक(lubricant) के द्वारा पुर्जो के बीच में बहुत पतली परत बनाई जाती है यह परत संपर्क सतहो को अलग-अलग रखती है और पुर्जे घर्षण से बच जाते है |

स्नेहक के उद्देश्य (objects of lubricant)

स्नेहक के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं
1. मशीन या पुर्जे parts गर्म होने से बच जाते हैं |
2. मशीन या पुर्जो की गति बढ़ती है क्योंकि स्नेहक के उपयोग से गति प्रतिरोध कम होता है |
3. मशीन की यथार्थता बढ़ती है |
4. मशीन कम शक्ति खर्च करती है |
5. मशीन की उत्पादन क्षमता बढ़ती है |
6. मशीन या पुर्जो पर जंग नहीं लगता है |
7. मशीन के पार्ट्स कम घिसते हैं |

स्नेहक के गुण (properties of lubricants)

स्नेहक lubricants के मुख्यत 9 गुण होते हैं जो निम्नलिखित हैं |
1. श्यानता (viscosity)
2. चिकनाहट (oiliness)
3. स्फुरण बिंदु(flash point)
4. बहाव बिंदु (pour point)
5. अग्नि बिंदु(fire point)
6. वाष्पशीलता (volatality)
7. रासायनिक स्थिरता (chemical stability)
8. अम्लीयता (acidity)
9. इमल्सीफिकेशन (emulsification)

श्यानता (viscosity)

एक स्नेहक(lubricant) जब गति करता है तो इसके कण एक-दूसरे की गति का विरोध करते हैं | जिससे घर्षण प्रतिरोध उत्पन्न होता है, इसे ही श्यानता (viscosity)का गुण कहा जाता है |
अगर दूसरे शब्दों में कहा जाए तो किसी द्रव की आपेक्षिक तरलता को ही उसकी श्यानता कहा जाता है|
कम श्यानता वाले स्नेहक पतले होते हैं और आसानी से बह सकते हैं | जबकि अधिक से श्यानता वाले स्नेहक गाढे होती हैं और इनके बहने की क्षमता भी कम होती है |

चिकनाहट (oiliness)

किसी स्नेहक या तेल की परत सॉफ्ट की गति से उत्पन्न होती है जब सॉफ्ट स्थिर रहती है तो स्नेहक की परत हटकर निचली सतह पर जमा हो जाती है फिर भी ऊपरी सतह पर चिकनाहट रहती है |
यह क्रिया स्नेहक की चिकनाहट पर निर्भर करती है जिसके कारण वह स्नेहक का गीलापन छोड़ती है |
चिकनाहट के अभाव के कारण पुर्जों आदि में थोड़ी बहुत गिरावट आ सकती है |इसलिए चिकनाहट oiliness स्नेहक का वह गुण होता है, जिससे सतहे है चिकनी रहती है |

स्फुरण बिंदु(flash point)

स्फुरण बिंदु(flash point) वह तापमान होता है जिस पर स्नेहक गर्म होकर भाप के रूप में बदलने लगता है और बिना आग लगाए स्वत: ही आग पकड़ लेता है |
सभी स्नेहको का स्फुरण बिंदु(flash point) अलग अलग होता है
इसलिए एक अच्छे स्नेहक में अधिक स्फुरण बिंदु(flash point) होना आवश्यक है |

बहाव बिंदु (pour point)

वह तापमान जिस पर स्नेहक ठंडा होकर गाढ़ा हो जाता है तथा उसका बहाव रुक जाता है उसे बहाव बिंदु (pour point) कहा जाता है |
वे मशीनें जो निम्न टेंपरेचर के लिए उपयोग में ली जाती हैं उनमें इनका महत्व अधिक होता है | जैसे - बर्फ बनाने वाली मशीन तथा रेफ्रिजरेटर

अग्नि बिंदु(fire point)

वह तापमान जिस पर स्नेहक की वाष्प जलने लगती है और तेल आग पकड़ लेता है उसे हम अग्नि बिंदु(fire point) कहते हैं |

वाष्पशीलता (volatality)

यह स्नेहक का वह गुण होता है, जिसके कारण उसके भार में कमी आ जाती है |एक अच्छे स्नेहक की वाष्पशीलता (volatality) कम होनी चाहिए |

रासायनिक स्थिरता (chemical stability)

किसी एक अच्छे स्नेहक में उच्च स्थिरता होनी चाहिए और इसका किसी भी स्थिति में अपघटन या ऑक्सीकरण नहीं होना चाहिए जिससे गाढ़ा होने से इसके बहाव में कमी ना आए |

अम्लीयता (acidity)

स्नेहक में यदि अमल की मात्रा स्वतंत्र रूप से होगी तो सताह खराब होने से घर्षण बढ़ता है |
स्नेहा को अमल की मात्रा होने पर जंग लगने से सतह खराब हो सकती है |
इसलिए एक अच्छे स्नेहक में प्रत्यक्ष रूप से अमल नहीं होना चाहिए |

इमल्सीफिकेशन (emulsification)

जब कोई स्नेहक पानी के साथ मिलता है तो उसे इमल्सीफिकेशन (emulsification) कहते हैं |
एक अच्छी किस्म के स्नेहक में पानी नहीं खुलता है
इमल्सीफिकेशन (emulsification) की भाप इंजन, भाप टरबाइन या हाइड्रॉलिक टरबाइन आदी में होने की संभावना ज्यादा होती है |

स्नेहक के प्रकार (types of lubricants)

स्नेहको को तीन श्रेणियों में बांटा गया है जो निम्नलिखित है|
1. द्रव स्नेहक (liquid lubricants)
2. अर्ध ठोस स्नेहक (semi solid lubricant)
3. ठोस स्नेहक (solid lubricant)

1. द्रव स्नेहक (liquid lubricants)

द्रव स्नेहको को निम्नलिखित प्रकार से बांटा गया है|
A. कार्बनिक तेल (organic oil)
B. खनिज तेल (mineral oil)
C. कृत्रिम तेल (synthetic oil)

कार्बनिक तेल (organic oil)

कार्बनिक तेल को फैटी ऑयल या स्थिर आयल भी कहते हैं|
यह कार्बनिक तेल (organic oil) पशु(animal) वनस्पति और मछलियों से प्राप्त किए जाता हैं|
मछलियों के सिर से निकाला गया तेल भी स्नेहक के रूप में प्रयोग किया जाता है |

कार्बनिक तेल के गुण (properties of organic oil)

यह तेल अत्यधिक कीमती होता है |
नमी वाली वायु या जलीय साधन से जलयुक्त होने की प्रकृति के कारण क्रिया में अम्लीय होता है |
वायु के संपर्क में ऑक्सीजन * करने तथा गाढ़ा होने की अधिक प्रवृत्ति होती है |
यह तेल के छेद hole को बंद कर देता है |

खनिज तेल (mineral oil)

यह तेल पेट्रोलियम से प्राप्त होते हैं तथा यह पैराफिन या नैफ्थनिक तेल होते हैं |
नैफ्थनिक तेलो की अपेक्षा पैराफिन तेल उच्च तापमान पर स्वच्छता से टिकते हैं |
तापमान में वृद्धि के साथ पैराफिन तेलों की अपेक्षा नैफ्थनिक तेल स्नेहक के लिए निम्नलिखित स्तर के होते हैं|
कार्बनिक तेलों की अपेक्षा खनिज तेलों की श्यानता कम होती है | इसलिए इन्हें क्रूड आयल (crude oil) भी कहा जाता है |
खनिज तेलों की श्यानता की परास अधिक होती है तथा यह कम चिपचिपा और कार्बनिक तेलों से अधिक चिकनाहट वाला होता है |
इनकी क्षमता को बढ़ाने और इनको भारी बनाने के लिए इनमें 5% से 25% तक कार्बनिक तेलों को मिलाया जाता है जिसे संयुक्त तेल (compound oil) कहते हैं|
उपयोग के आधार पर खनिज तेल नो को पेट्रोलियम स्नेहक के रूप में निम्नलिखित रुप में कर सकते हैं |
सर्कुलेटिंग आयल, गियर आयल, मशीन या इंजन आयल, रेफ्रिजरेशन आयल, स्पिंडल ऑयल, स्टीम सिलेंडर ऑयल, वायर रोप स्नेहक आदि |

कृत्रिम तेल (synthetic oil)

सिंथेटिक ऑयल महंगे होते और इनका उपयोग सीमित स्थानों पर किया जाता है |
यह पोलीएल्कालीन ग्लेकोस तथा योगिक सिलिकॉन होते हैं|
यह सिलिकन कोल और बालू से तैयार किए जाते हैं |
इनमें सिलीकान कार्बाईड को अलग-अलग तत्वों के साथ सिलिकन और ऑक्सीजन में रासायनिक क्रिया द्वारा बदल दिया जाता है, जिसे सिलिकॉन स्नेहक कहते हैं |

2. अर्ध ठोस स्नेहक (semi solid lubricant)

यह स्नेहक साबुन के समान गाढ़ा खनिज तेल होता है |
यह तेल की अपेक्षा उच्च श्यानता वाला होता है |
इसके द्वारा अलग-अलग प्रकार की ग्रीस तैयार की जाती है|
इसे गाढा बनाने के लिए इसमें पेट्रोलियम और कृत्रिम तेल मिलाए जाते हैं |
इसमें सोडियम, कैल्शियम, एलमुनियम, बेरियम, लिथियम, और स्ट्रान्सियम के साबुन फैट मिलाये जाते है|
यह साबुन फैट और धातु आधार की रासायनिक क्रिया की उपज होते हैं |
अर्थ ठोस स्नेहक अर्थात ग्रीस का उपयोग उन स्थानों पर किया जाता है जहां पर उच्च तापमान पैदा होता है और जिसमें द्रर्व स्नेहको का प्रयोग करना संभव न हो |

3. ठोस स्नेहक (solid lubricant)

ऐसी जगह जहां दबाव व तापमान के कारण जहां तेल परत नहीं बन पाती, ऐसी जगह घर्षण को कम करने के लिए  ठोस स्नेहक (solid lubricant) का प्रयोग किया जाता है|
इस प्रकार के ठोस स्नेहक का प्रयोग अकेले अथवा इनके साथ तेल या ग्रीस मिलाकर किया जाता है | इसका सबसे अच्छा उदाहरण ग्रेफाइट होता है |
ग्रेफाइट के अलावा ठोस स्नेहक जैसे - सॉपस्टोन, टेल्क, वैक्स, माइका, और फ्रेंच चौक आदि होते हैं |


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