ITI fitter tools


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हेलो दोस्तों आज हम आपको बताएंगे आईटीआई फिटर में काम आने वाले महत्वपूर्ण टूल्स के बारे और जानेगे की कौन सा टूल किस काम में आता है वह टूल किस धातु का बना होता है टूल का मुख्य उपयोग क्या होता है उनका लिस्ट काउंट यानी अल्पतमांक और उनकी विभिन्न इकाइयों के बारे में विस्तार से जानेंगे में तो आइए देखते हैं आईटीआई फिटर में कौन कौन से टूल काम में आते हैं
ITI fitter tools, measurement tools
ITI fitter tools

Fitter theory वैसे तो कई प्रकार के टूल प्रयोग किए जाते हैं जैसे हैंड टूल्स कटिंग टूल्स मशीनिंग टूल्स एवं अन्य मापन टूल्स आदि
सभी टूल को एक साथ पढ़ने का हम प्रयास करते हैं तो यह संभव नहीं हो पाता इसलिए हम सभी टूल्स के बारे में एक एक करके और केटेगरी ज्वाई पढ़ने का प्रयास करते हैं
आइए जानते हैं मापन उपकरणों के बारे में

साधारण मापक उपकरण (simple measuring instrument tool)



1. रूल (Rule)

यह लकड़ी अथवा धातु का बना एक मापक उपकरण होता है।


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यह जिस पदार्थ का बना होता है, इस पर उस पदार्थ का नाम लिखा होता
इसके लिए प्रत्येक कम्पनी का मान संयोजन होता है, जिसके कारण
कम्पनियाँ रूल पर इंच अथवा से.मी. में भागों को चिह्नित करती है।
उदाहरण :- जैसे इस्पात का रूल, लकड़ी का रूल और
पीतल का रूल आदि

2. स्टील रूल (Steel Rule)


यह एक ऐसा मापन उपकरण होता है, जिसे स्टेनलेस स्टील, स्प्रिंग
स्टील या हाई कार्बन स्टील से बनाया जाता है।
इसका उपयोग कार्यशाला में जॉब अथवा कार्य की माप जाँचने में
किया जाता है।
इस पर इंच एवं से.मी. में निशान बने होते हैं।
इंच को 1/8,1/16, 1/32, और 1/64, इंच के बराबर भागों में एवं से.मी. को 1 मि.मी. व 1/2  मि.मी. में विभाजित किया जाता है।
स्टील रूल का साइज इसकी लम्बाई से लिया जाता है। जैसे 6
इंच, 12 इंच और 15 से.मी. 30 से.मी. आदि।
स्टील रूल का अल्पतमांक 0.5 मि.मी. होता है।

3. मानक स्टील रूल (Standard Steel Rule)

यह एक साधारण स्टील रूल जैसा ही होता है, जिसका अधिकतर
उपयोग कार्यशाला (Workshop) में किया जाता है।
इस पर भी इंच तथा से.मी. में निशान अंकित रहते हैं।
इस स्टील रूल से कम से कम 1/64 इंच या 1/2 मि.मी. तक माप लिया जा सकता है।
ये 6 इंच से 48 इंच और 15 से.मी. से 120 से.मी. तक लंबाई में मिलते हैं

4. लचीला स्टील रूल (Flexible Steel Rule)


यह स्टील रूल देखने में मानक स्टील रूल जैसा ही होता है।
इसको स्प्रिंग स्टील की पत्ती से बनाया जाता है। इसके कारण इसमें लचक होती है।
ITI fitter tool, flexible steel rule
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इसका अधिकतर प्रयोग वक्र आकृति वाले कार्यों की माप लेने के लिए किया जाता है।
यह लगभग 1/64 इंच मोटा तथा 1/2 इंच चौड़ा बनाया जाता है।
ये 6 इंच या 15 से.मी. की लम्बाई में मिलते हैं।

5. नैरो स्टील रूल (Narrow Steel Rule)


इस स्टील रूल की चौड़ाई मानक स्टील रूल से अपेक्षाकृत कम रखी जाती है।
इसकी चौड़ाई 5 मि.मी. होती है जबकि मानक स्टील रूल की चौड़ाई 19 मि.मी. तक रखी जाती है।
इसका अधिकतर उपयोग पतली नाली या कम चौड़े खाँचों
(Grooves) की माप लेने में किया जाता है।
ये मृदुकृत इस्पात (Tempered Steel) के बने होते हैं
ये प्रायः 12 इंच या 30 से.मी. लम्बाई में पाये जाते हैं।
इनका केवल एक किनारा ही चिह्नित रहता है।

6. हुक रूल (Hook Rule)


इस प्रकार के स्टोल रूल के एक सिरे पर एक हुक लगा होता है।
इस हुक के कारण इसके द्वारा किसी भी छेद या पाईप के अन्दर के किनारों से आसानी से माप ली जा सकती है
हुक रूल प्राय: 12 इंच या 30 से.मी. लम्बाई तक पाये जाते हैं।
इसका प्रयोग इनसाइड कैलीपर्स तथा डिवाइडर पर पाठ्यांक सैट करने के लिए किया जाता है।

7. स्टील टेप रूल (Steel Tape Rule)


इसके द्वारा लम्बी दूरियों को भी सुविधाजनक मापा जा सकता है।
यह अधिकतर 1/2" चौड़ा तथा 72" लम्बा होता है।
इसमें पहले 6” को छोड़कर पूरी लम्बाई में एक इंच के 16  भाग किए हुए रहते हैं
यह एक लचीला (Flexible) रूल होता है।

8. स्टील टेप (Steel Tape)


यह भी स्टील टेप रूल जैसा ही होता है। परन्तु उससे अधिक लचीला (Flexible) होता है।
इसका उपयोग मुख्य रूप से अधिक लम्बी दूरी मापने में किया जाता है।
इस पर फुट का भी नम्बर अंकित रहता है। यह 3/8" चौड़ा तथा 25 से 100 फुट तक लम्बा होता है।
इस पर इंच के 8वें भाग के निशान अंकित रहते हैं।

9. फोल्डिंग स्टील रूल (Folding Steel Rule)


इसका अधिकतर उपयोग बढ़ईशाला (Carpentry Shop) में किया जाता है।
यह पीतल का भी बना होता है, जो गरम जॉब या कार्यों को मापने के लिए काम में लिया जाता है तथा यह लकड़ी का भी बना होता है, जो लकड़ी के कार्यों को मापने के लिए प्रयोग किया जाता है।
इसे खोलकर 6 फुट लम्बाई तक बढ़ाया जा सकता है जबकि बन्द अवस्था में यह 6" लम्बा हो जाता है।

10. स्केल (Scale)

स्टील रूल को प्रयोग करते समय कुछ सावधानियां रखनी चाहिए जो इस प्रकार हैं
यह देखने में रूल जैसा ही होता है तथा इस पर रूल की तरह बराबर दूरी पर निशान बने होते हैं।
इस स्केल का अधिकतर उपयोग मानचित्र या ड्राइंग बनाने के लिए ड्राफ्टमैन द्वारा किया जाता है।
इसमें इंच और उसके भागों के निशान सही दूरी पर नहीं होते हैं। ये सही माप से कम या अधिक दूरी पर होते हैं।
इसके तीसरे किनारे पर चौथाई साइज के निशान अंकित रहते हैं।
यह स्केल भी मीट्रिक तथा ब्रिटिश दोनो प्रकार के होते हैं।

सावधानियाँ (Precautions)


स्टील रूल को हमेशा साफ रखना चाहिए ताकि माप लते समय उसके निशान साफ दिखाई दे सकें।
स्टील रूल को कभी भी कटिंग टूल्स के साथ मिलाकर नहीं रखना चाहिए।
स्टील रूल को समय-समय पर हल्का तेल लगाते रहना चाहिए।
स्टील रूल को कभी भी पेचकस की तरह प्रयोग नहीं करना चाहिए।

Fitter se ITI karne ke fayde, फिटर से आईटीआई करने के फायदे

Fitter] se ITI karne ke fayde, फिटर से आईटीआई करने के फायदे

हेलो दोस्तों आज हम आपको बताएंगे कि फिटर से आईटीआई करने के फायदे क्या है अगर देखा जाए तो सभी आईटीआई ट्रेड का अपना एक महत्व होता है परंतु फिटर ट्रेड सभी ट्रेनों से भिन्न क्यों है आज हम जानेंगे तो आइए स्टार्ट करते हैं

औद्योगिक विकास में व्यवसाय की भूमिका


औद्योगिक संस्थानो, प्रतिष्ठानो, उपक्रमो तथा निगमो में व्यवसाय फिटर की भूमिका अति महत्वपूर्ण है। जिस प्रकार मानव शरीर
में रोड की हड्डी का महत्वपूर्ण स्थान है उसी प्रकार से सभी संस्थानो, प्रतिष्ठानो, उपक्रमो या निगमो में एक टर्नर, वैल्डर, मशिनिष्ट,
इलैक्ट्रिशियन से काम चल सकता है, परन्तु किसी भी संस्थान, प्रतिष्ठान, उपक्रम, निगम एवं उद्योगों में 100 फिटर भी कम होते है। एक
फिटर पूर्णत: तब ही फिटर कहलाता है जब वह औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान से फिटर व्यवसाय में प्रशिक्षण प्राप्त करने के पश्चात शिक्षुता
(अप्रेन्टिस) प्रशिक्षण पूर्ण करके दक्षता प्राप्त करता है। अधिकतर कोई भी संस्थान, प्रतिष्ठान, उपक्रम, निगम एवं उद्योग तब ही अधिक
से अधिक फिटरो की भर्ती करता है।
क्योंकि अप्रेंटिस करने के बाद कोई भी फिटर कुशल कारीगर बन जाता है जिसे कार्यशाला में कार्य करने का अनुभव भी प्राप्त होता है

अगर देखा जाए तो फिटर ट्रेड से आईटीआई स्टूडेंट को लगभग सभी इंडस्ट्रीज मैं नौकरी आसानी से मिल सकती है किंतु अगर कोई स्टूडेंट नौकरी ना करके अपने स्वयं का रोजगार करना चाहे तो भी फिटर ट्रेड की एक महत्वपूर्ण भूमिका होती है आइए जानते हैं इसके बारे में

फिटर व्यवसाय में स्वरोजगार के अवसर

1. फ्रेब्रीकेशन के रूप में स्वंय का कार्य जैसे-ग्रिल, जंगले, जाली, गेट आदि बना2. कृर्षि यंत्र बनाने का स्वंय का वर्कशॉप।3. ट्रक, बस, बॉडी बनाने का कार्य।4. शीट मैटल कार्य- सन्दूक, बाल्टी, ड्रम आदि बनाने का कार्य।5. ब्लैक स्मिथी -  औजार, हुक, परात, फावडे, कढाई, कडे, चैन बनाने का कार्य।6. मेन्टेनैंस फिटर – पाइप फिटर का कार्य करना।

इस प्रकार के कार्य करके 1 फिटर अपना स्वरोजगार स्थापित कर सकता है
अगर एक फिटर चाहे तो एक कुशल टेक्नीशियन के रूप में किसी भी वर्कशॉप या कंपनी में अपनी इच्छा अनुसार सैलरी भी पा सकता है क्योंकि एक कुशल फिटर ही एक अच्छा टेक्नीशियन और अच्छा मेंटेनेंस कार्य करने में कुशल होता है फिटर की आवश्यकता आज के दौर में सभी वर्कशॉप में होती है इसलिए वह अपनी इच्छा अनुसार जहां चाहे देश और विदेश कहीं भी नौकरी पाने में सफल रहता है और वह अन्य व्यक्ति विशेष की वजह अच्छी तनख्वाह पाने की उम्मीद कर सकता है

आईटीआई फिटर का महत्व

इस व्यवसाय का प्रशिक्षण लगभग सभी संस्थानों में दिया जाता है इसका पुराना नाम जर्नल मैकेनिक तथा मुख्यतः इसका कार्य कल कारखाना में मशीनों की देखभाल तथा मरम्मत करना असेंबली करना आदि होता है

यह भी पढ़ें

फिटर की परिभाषा|meaning of fitter

वह कुशल कारीगर जो अपने कार्य का 75% भाग हस्त औजारों तथा 25% भाग मशीनों की सहायता से पुर्जे बनाकर तैयार करता है
फिटर कहलाता है

फिटर के प्रकार (types of fitter)

औद्योगिक क्षेत्रों में कार्य को पूरा करने के लिए अलग-अलग प्रकार के चित्र होते हैं आइए जानते हैं इनके बारे में

1. बेंच फिटर (bench fitter)

वह कुशल कारीगर अधिकांश अपने कार्य को बेंच पर फिट वॉइस की सहायता से हस्त औजारों के साथ ड्रिलिंग, रीमिंग, थ्रेडिंग आदि के द्वारा पूरा करता है बेंच फिटर कहलाता है
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Bench fitter



2. मेंटेनेंस फिटर (maintenance fitter)

मेंटेनेंस फिटर का मुख्य कार्य कार्यशाला में चलने वाली मशीनों की देखभाल करना होता है तथा आवश्यकता पड़ने पर इनकी मरम्मत का कार्य भी मेंटेनेंस फिटर के द्वारा ही किया जाता है
Fitter se ITI karne ke fayde, maintenance fitter
Maintenance fitter


3. असेंबली फिटर (assembly fitter)

असेंबली फिटर का मुख्य कार्य मशीनों द्वारा तैयार की गई मशीन पार्ट्स को एकत्रित करते हुए मशीन का रूप देना होता है
Fitter se ITI karne ke fayde, assembly fitter
Assembly fitter

4. फेब्रिकेशन फिटर (fabrication fitter)

फेब्रिकेशन फिटर का मुख्य कार्य धातु चादर, एंगल आईरन, आदि के द्वारा वेल्डिंग, रिवेटिंग, वेंडिंग, आदि संक्रिया करते हुए दरवाजे जंगले गेट आदि तैयार करना होता है

5. डाई फिटर (die fitter)

डाई फिटर का मुख्य कार्य कार्य की माप और साइज के अनुसार शक्ति प्रेस द्वारा बनाए जाने वाले पुर्जे बनाना होता है
डाई के द्वारा कम समय में अधिक उत्पादन तैयार किया जा सकता है

6. पाइप फिटर (pipe fitter)

पाइप फिटर का मुख्य कार्य तेल गैस और तरल पदार्थों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक बंद अवस्था में ले जाने के लिए पाइप और ट्यूब का प्रयोग करना तथा उन्हें तैयार करना उनकी मरम्मत करना आदि पाइप फिटर के कार्य होते हैं


दोस्तों यह था हमारा आज कब लोग जिसमें हमने बताया है की फिटर से आईटीआई करने के फायदे क्या है तथा फिटर कितने प्रकार के होते हैं आपको हमारा जो पसंद आया तो हमें सब्सक्राइब करें तथा कमेंट करना ना भूलें
धन्यवाद

ITI कौन सी ट्रेड से करनी चाहिए, ITI kaun si trade se Karni chahie

ITI कौन सी ट्रेड से करनी चाहिए, ITI kaun si trade se Karni chahie


हेलो दोस्तो
आज हम बात करेंगे की आईटीआई कौन सी ट्रेड से करनी चाहिए
अगर देखा जाए तो सभी आईटीआई कोर्स महत्वपूर्ण है क्योंकि प्रत्येक ट्रेड का अपना महत्व है
ITI kaun si trade se Karni chahie, top 5 trades in iti
ITI kaun si trade se Karni chahie


इस समय भारत में अनेक ट्रेडो से आईटीआई सर्टिफिकेट प्राप्त किया जा सकता है

👉ITI कोर्स की अवधि

कुछ कुछ आईटीआई कोर्सेज की अवधि 6 महीने की होती है तथा कुछ आईटीआई कोर्स की अवधि 1 वर्ष होती है
और कुछ आईटीआई ट्रेड कोर्स की अवधि 2 वर्ष की होती है
👉 सामान्यत भारत में 2 वर्ष की अवधि वाले आईटीआई कोर्स करने वालों की संख्या ज्यादा है

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फिटर से आईटीआई करने के फायदे

 सबसे अच्छा आईटीआई कोर्स कौन सा है|Which board is best for ITI

हम आपको बताना चाहेंगे किस प्रकार प्रत्येक ट्रेड का अपना एक महत्व है उसी प्रकार आईटीआई का कोई भी ट्रेड अच्छा या बुरा नहीं होता सभी ट्रेड समान होते हैं अधिकतर 2 साल अवधि वाले ट्रेड को चुनना चाहिए जिसकी उद्योगों में अधिक आवश्यकता हो
आईटीआई ट्रेड का चयन हमेशा स्वविवेक से ही करना चाहिए क्योंकि इच्छा के विरुद्ध किया गया कार्य हम लंबे समय तक नहीं कर सकते
जब हम आईटीआई कोर्स का चयन बिना सोचे समझे एक कर लेते हैं तथा उसके बाद जब हम उस व्यवसाय को करने की कोशिश करते हैं तो हमारे मन में विभिन्न भिन्न जिज्ञासा उत्पन्न होने लगती हैं और काम में हमारा मन नहीं लग पाता इसलिए आईटीआई कोर्स का चयन हमेशा स्वविवेक और सोच समझकर ही करना चाहिए
अगर देखा जाए तो सभी आईटीआई कोर्स के लिए उद्योगों में वैकेंसी होती हैं तथा सभी ट्रेड के काम उद्योगों में बहुतायत में किए जाते हैं
इसलिए हम किसी एक ट्रेड को महत्वपूर्ण बताकर अन्य ट्रेड के लिए नकार नहीं सकते👍

👉 आईटीआई की किस ट्रेड से जॉब जल्दी मिलता है

दोस्तों सभी आईटीआई ट्रेड्स का अपना एक महत्व होता है तथा सभी आईटीआई ट्रेड के लिए जॉब बहुतायत में उपलब्ध होती हैं
कुछ विशेष आईटीआई ट्रेड् के नाम

 फिटर, इलेक्ट्रीशियन, डीजल मैकेनिक, वेल्डर, मशीनिस्ट, टर्नर,पाइप फिटर, आदि

इन सभी ट्रेंड के आईटीआई स्टूडेंट को अन्य ट्रेड से जल्दी और अधिक जॉब मिलने की संभावना रहती है
क्योंकि उद्योगों में इन ट्रेडो का अपना एक महत्व है
सभी उद्योगों में इन आईटीआई ट्रेड से उत्तीर्ण छात्रों को अधिक प्लेसमेंट सुविधा उपलब्ध कराई जाती रही है
धन्यवाद

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ITI करने के फायदे|ITI krne ke fayde

हेलो दोस्तों

जैसा कि हम सब जानते हैं की वर्तमान युग टेक्निकल युग के नाम से जाना जाता है या यूं कहें कि वर्तमान समय में और आने वाले समय में हमारे देश में इंडस्ट्रियल संसाधनों में काफी वृद्धि हुई है और भविष्य में उद्योग धंधों की संख्या और अधिक होने की संभावना है क्योंकि भारत एक ऐसा देश है जिसे हम युवाओं का देश कह सकते हैं यहां पर सभी प्रकार के उद्योग विकसित होने की अपार संभावनाएं है इसलिए उद्योगों में काम करने के लिए कामगार क्या वर्कर की आवश्यकता होती है जो सभी मशीनों पर सुरक्षित रूप से काम कर सके और उसे मशीनों का ज्ञान हो वह सभी  औजारों से परिचित हो
ताकि वह उस उद्योग में सुरक्षित ढंग से कार्य कर सकें इसलिए जरूरत पड़ी तकनीकी रूप से तैयार वर्कर्स की
इसलिए भारत सरकार ने आईटीआई कोर्स लागू किया

ITI KYO KRE, ITI KARNE SE KYA HOTA H

आईटीआई का पूरा नाम



आइए अब जानते हैं 

आईटीआई करने के फायदे| ITI Karne ke fayde

आईटीआई करने के बाद किसी भी व्यक्ति को इंडस्ट्री में काम करना आसान हो जाता है और उसे अच्छे कामगार की रूप में अच्छी तनख्वाह प्राप्त होती है उसी सभी प्रकार के भत्ते दिए जाते हैं
आईटीआई करने के पश्चात विभिन्न प्रकार की प्राइवेट उद्योगों एवं सरकारी उद्योगों में रोजगार के अवसर प्राप्त होते हैं
आइए जानते हैं

आईटीआई पास होने के बाद व्यवसाय के अवसर|job after ITI


केंद्र सरकार के सभी प्रतिष्ठानों, उपक्रमों एवं उद्योगों में जैसे
भारत हेवी इलेक्ट्रिकल लिमिटेड, स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड, गेल अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड, नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन, आदि में रोजगार प्राप्त करना
राज्य सरकार के सभी प्रतिष्ठान में रोजगार प्राप्त करना

थल सेना, जल सेना, वायु सेना, एम एम एस, बी एस एफ, की तकनीकी पदों पर रोजगार प्राप्त करना

रेलवे में सहायक लोको पायलट, टेक्नीशियन, हेल्पर, आदि के पदों पर रोजगार प्राप्त करना
बड़े-बड़े औद्योगिक प्रतिष्ठानों जैसे- मारुति, होंडा, हीरो ,टीवीएस, बजाज, अशोक लीलैंड, टाटा,  आदि में रोजगार प्राप्त करना

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  • धन्यवाद

आधार कार्ड में दस्तावेज़ अपलोड Document upload in Aadhar Card

 इस पोस्ट में हम जानेगे आधार कार्ड में दस्तावेज़ अपलोड करना क्यों जरुरी है और आधार कार्ड में दस्तावेज़ अपलोड करने की प्रक्रिया क्या है | आधा...