दोस्तों इस पोस्ट में हम ग्राइंडिंग बॉन्ड के प्रकार के बारे में जानेगे |
ग्राइंडिंग बॉन्ड क्या है | what is grinding bonds
बॉन्ड के द्वारा अपघर्षक कणों को आपस में जोड़ने का काम किया जाता है |
इनका प्रयोग लगातार कर्तन(cutting) क्रिया करने के लिए किया जाता है| बांड के द्वारा धार लगाने वाले पत्थर तथा ग्राइंडिंग पहिए बनाए जाते हैं |
बॉन्ड के प्रकार (types of bonds)
ग्राइंडिंग बॉन्ड मुख्यतः सात प्रकार के होते हैं जो निम्नलिखित हैं|1. वैट्रीफाइड बॉन्ड (vitrified bond)
2. सिलीकेट बॉन्ड (silicate bond)
3. चपटा बॉन्ड (shellac bond)
4. रेजिन बॉन्ड (resin bond)
5. रबड़ बॉन्ड (rubber bond)
6. ऑक्सिक्लोराइड बॉन्ड (oxycholoride bond)
7. मैटल बॉन्ड (metal bond)
1. वैट्रीफाइड बॉन्ड (vitrified bond)
वैट्रीफाइड बॉन्ड एक लाल भूरे रंग का क्ले बॉन्ड होता है|जिसका आधार पदार्थ (base material) फेल्सपार होता है जो कि एक गलनीय मृतिका (fusible clay) होती है|
इसमें आवश्यक मात्रा में उच्च ताप को सहन करने के लिए पदार्थ मिलाए जाते हैं|
इन अवयवों को पानी में घोलकर तथा अपघर्षक कणों के साथ मिलाकर प्रेस इत्यादि में ढाल (casting) करके वांछित आकृति दी जाती है इसके पश्चात इनहे कमरे के ताप पर हवा द्वारा सुखाया जाता है|
सूखने के पश्चात इन पहियों को भट्टी में पकाते हैं और फिर इन्हें काट कर सही आकार में लाया जाता है |
वैट्रीफाइड बॉन्ड से बने पहिए (wheel) अच्छी सामर्थ्य(strength) तथा सरन्धृता (porosity) वाले होते हैं|
यह बॉन्ड झटकों के प्रति सुग्राही(sensitive) होते हैं|
यह उच्च ताप सहन करने योग्य भी होते हैं|
वैट्रीफाइड बॉन्ड से बने पहिए 200 मीटर प्रति मिनट की सरफेस स्पीड सहन कर सकते हैं|
व्यवसायिक रूप से इस बॉन्ड के पहिए को अंग्रेजी के अक्षर 'V' के द्वारा व्यक्त किया जाता है|
अधिकतर ग्राइंडिंग पहियों में इस प्रकार के बॉन्ड का प्रयोग किया जाता है |
2. सिलीकेट बॉन्ड (silicate bond)
सिलीकेट बॉन्ड के ग्राइंडिंग पहिए(grinding wheel) अपघर्षक कणों के साथ सिलीकेट मिलाकर तैयार किए जाते हैं |इस बॉन्ड के मिश्रण बनाने, कुटाई करने(ramming) मोल्डिंग तथा सुखाने आदि की प्रक्रिया विट्रीफाइड बॉन्ड की तरह की होती है किंतु पकाने वाली भट्टी का तापमान केवल 260 डिग्री सेंटीग्रेड रखते हैं|
इस ताप के कारण ही इन भाइयों को उच्च तनन सामर्थ्य (high tensile strength) प्राप्त होती है|
कठोर तथा संहत कणो वाले पहिए बनाने के लिए विट्रीफाइड बॉन्ड की तरह ही इस मिश्रण कि लेई को द्रवीय(hydraulic) दाब द्वारा दबाया जाता है|
इस बॉन्ड से बने पहिए हल्के भूरे रंग के जलरोधी (water proof) होते हैं| इन गुणों के कारण इन पहियों का उपयोग वहां किया जाता है जहां पर कम घिसाव के साथ साथ शीतल कर्तन क्रिया करनी हो |
शीतल(cool) कर्तन क्रिया होने के कारण यह है कि यह बॉन्ड अपघर्षक कणों को विट्रीफाइड बॉन्ड की अपेक्षा अधिक तेजी से अलग करता है |
सिलीकेट बॉन्ड को अंग्रेजी के अक्षर 'S' के द्वारा व्यक्त किया जाता है |
3. चपटा बॉन्ड (shellac bond)
चपटा बॉन्ड (shellac bond) पहिए अपघर्षक पदार्थों को चपडा़ (shellac) के साथ मिलाकर तैयार किये जाते है |इन पहियों के बॉन्ड तथा अपघर्षक कणों को एक माप तापित मिश्रण (steam heated mixer) मैं मिलाकर और फिर गर्म सांचो मै दाब के साथ ढालकर (cast) बनाया जाता है|
यह पहिए कुल कटिंग करते हैं और उच्च सर्फेस फिनिश प्रदान करते हैं|
इन्हें पानी के साथ बिना सुरक्षा के प्रयोग में लाया जा सकता है परंतु कास्टिक सोडा और तेल में इनका प्रयोग नहीं किया जा सकता |
यह पहिए अच्छी प्रत्यास्थता (elasticity) तथा सामर्थ्य (strength) वाले होते हैं|
इनका प्रयोग भारी कार्यों के लिए उपयुक्त नहीं होता है बल्कि इनका प्रयोग चिल्ड आयरन, ढलवा लोहा, इस्पात,
तथा कठोर किए गए स्टील के कैम की ग्राइंडिंग में प्रयोग होते हैं|
चपटा बॉन्ड को अंग्रेजी के अक्षर 'E 'के द्वारा व्यक्त किया जाता है |
4. रेजिन बॉन्ड (resin bond)
यह ग्राइंडिंग पहिए अपघर्षक कणों को सिंथेटिक रेंजन तथा अन्य यौगिको (compounds) को मिलाकर तैयार किए जाते हैं इसके बाद इन्हें लगभग 200 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान तक गर्म करके पकाया जाता है|रेजिंन बॉन्ड पहियों में बेकेलाइट और रेडमनांल (Redmanol) आदि रेंजिनो का प्रयोग किया जाता है, इसी कारण से इन पहियों को उच्च गति पर घुमाया जा सकता है|
यह पहिए अधिक सामर्थ्य या हाई स्ट्रैंथ वाले होते हैं इनके द्वारा धातु की कटिंग उच्च दर से कर सकते हैं|
रेजिन बॉन्ड को अंग्रेजी के अक्षर 'B' से व्यक्त किया जाता है |
5. रबड़ बॉन्ड (rubber bond)
रबड़ बॉन्ड पहिए अपघर्षक पदार्थ, शुद्ध रबड़ तथा गंधक के मिश्रण को भट्टी में डालकर पकाकर तैयार किए जाते हैं|यह पहिए पर्याप्त सामर्थ्य वाले होते हैं
इन्हें पतले अनुप्रस्थ काट में बनाया जा सकता है|
इनका प्रयोग मुख्य रूप से वहां किया जाता है जहां बहुत अधिक उच्च स्तर की सरफेस फिनिशिंग की तथा निकट डायमेंशन यथार्थता की आवश्यकता होती है|
रबड़ बॉन्ड के साथ संक्रिया करते समय कूलेन्ट के रूप में पानी का प्रयोग किया जा सकता है परंतु कास्टिक सोडा तथा तेल का प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि कास्टिक सोडा के प्रयोग से बॉन्ड विघटित होता है तथा तेल के संपर्क में आने से वह मुलायम बन जाता है|
इस बांड के पहियों का उपयोग अच्छी फिनिश प्राप्त करने के लिए किया जाता है|
रबड़ बॉन्ड को अंग्रेजी के अक्षर 'R' से व्यक्त किया जाता है|
6. ऑक्सिक्लोराइड बॉन्ड (oxycholoride bond)
ऑक्सिक्लोराइड बॉन्ड पहिए अपघर्षक पदार्थों तथा मैग्निशियम के ऑक्साइड और क्लोराइड के मिश्रण से भट्टी में पका कर तैयार कीये जाते है |यह बॉन्ड ठंडी कटिंग क्रिया प्रदान करता है
परंतु इसके द्वारा ग्राइंडिंग हमेशा शुष्क अवस्था में की जाती है क्योंकि इस पर कुलेन्ट की क्रिया का बुरा प्रभाव तुरंत पड़ता है |
ऑक्सिक्लोराइड बॉन्ड के पहिए का उपयोग सामान्य डिस्क ग्राइंडिंग, कटलरी, रबड़ और चपड़ा बॉन्ड के पहिए फिनिश करने के लिए किया जाता है |
7. मैटल बॉन्ड (metal bond)
जब किसी ग्राइंडिंग व्हील में डायमंड पाउडर का प्रयोग किया जाता है तो अपघर्षको को पकड़ने के लिए यह बॉन्ड बहुत अच्छा रहता है|डायमंड महंगा होता है अतः पाउडर की प्रभावी मोटाई को सीमित रखा जाता है और बॉन्ड पदार्थ को एक स्टील की प्लेट से जोड़ा जाता है|
मेटल बॉन्ड पहियों के निर्माण में मानक पाउडर मेटल टेक्निक (standard powder metal tequnic) का प्रयोग किया जाता है |
ग्रेन या ग्रिट (grain or grit) क्या होते हैं
ग्रेन या ग्रिट ग्राइंडिंग चाहिए के कणों के साइज को कहते हैं यह कार्यखण्ड या जॉब की फिनिशिंग को प्रभावित करता है |अलग-अलग ग्राइंडिंग पहियों के अपघर्षक कण अलग-अलग साइज के हो सकते हैं इनको सरल और संयुक्त पहियों के नाम से जाना जाता है|
अधिक धातु काटने के लिए कोर्स ग्रेन तथा कम धातु काटने के लिए सूक्ष्म ग्रेन पहिए का प्रयोग किया जाता है |
ग्रेन या ग्रिट का चयन
ग्रेन या ग्रिट का चयन काटे जाने वाली धातु की मात्रा उसकी वांछित फिनिश और ग्राइंड किए जाने वाली धातु की कठोरता के अनुसार किया जाता है |
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