टौलरेन्स क्या है और इसके क्या लाभ है

 

इस पोस्ट में हम जानेगे टौलरेन्स क्या है और इसके क्या लाभ है, तथा टौलरेन्स की पद्धतियां, यूनिलैटरल टौलरेन्स, बाइलेटरल टौलरेन्स, मौलिक टौलरेन्स, और टौलरेन्स जोन को विस्तार से जानेंगे |

टौलरेन्स(tolerance)

किसी पार्ट्स (पुर्जे) के बेसिक साइज पर दी गई हाई लिमिट और लो लिमिट के अंतर को टौलरेन्स कहते हैं |

टौलरेन्स के लाभ(advantage of tolerance)

1. इससे समय की बचत होती है और उत्पादन बढ़ता है|
2. कम कुशल कारीगर से काम लिया जा सकता है|
3. पार्ट्स (पुर्जे) कम रिजेक्ट होते हैं |
4. उत्पादन की लागत कम आती है|
नोट:- टौलरेन्स प्रत्येक पार्ट्स पर अलग-अलग हो सकती है|

टौलरेन्स की पद्धतियां (systems of tolerance)

टौलरेन्स दो प्रणालियों के अनुसार दी जाती है |
1. यूनिलैटरल टौलरेन्स(unilateral tolerance)
2. बाइलेटरल टौलरेन्स(bilateral tolerance)

यूनिलैटरल टौलरेन्स(unilateral tolerance)

इस प्रणाली के अनुसार टौलरेन्स बेसिक साइज पर केवल एक ही तरफ दी जाती है|
अर्थात यह टौलरेन्स केवल एक ही तरफ धनात्मक (+) या ऋणात्मक (-) मैं होती है|

बाइलेटरल टौलरेन्स(bilateral tolerance)

इस प्रणाली में टौलरेन्स बेसिक साइंज के दोनों तरफ की जाती है |
अर्थात यह टौलरेन्स दोनों ही तरफ धनात्मक (+) या ऋणात्मक (-) मैं होती है|

मौलिक टौलरेन्स(fundamental tolerance)

भारतीय मानक प्रणाली(Indian standard system) अर्थात I.S.I. के अनुसार 500 मिलीमीटर व्यास की सॉफ्ट के हॉल में विभिन्न फिट के लिए 18 मौलिक(fundamental) टौलरेन्स की श्रेणियां होती है|
इन श्रेणियों को I T O, I T, से 16 नंबरों द्वारा व्यक्त किया जाता है |
इसे टौलरेन्स की ग्रेड से भी जाना जाता है |
टौलरेन्स का ग्रेड निर्माण(manufacture) की परीशुद्धता के आधार पर निर्धारित किया जाता है |

टौलरेन्स साइज(tolerance size)

टौलरेन्स साइज के अंतर्गत मौलिक डेविएशन, टौलरेन्स का ग्रेड और बेसिक साइज दिया जाता है |
जैसे:- 30 H 5 से आप क्या समझते हैं ?
हल:- होल का बेसिक साइज 30 मिलीमीटर व्यास है|
मौलिक डेविएशन H से प्रकट किया गया है |
टौलरेन्स ग्रेड 5 नंबर से प्रकट किया गया है|

टौलरेन्स जोन(tolerance zone)

हाई लिमिट तथा लो लिमिट के अंतर को टौलरेन्स जोन कहते हैं|
Tolerance-zone,hole-basis-tolerance


टौलरेन्स जोन के माप में बना किसी भी साइज का जॉब सही होता है |
टौलरेन्स जोन की दो प्रणालियां प्रचलित हैं|
1. होल बेसिस टौलरेन्स (hole basis tolerance)
2. शाफ्ट बेसिस टौलरेन्स (shaft basis tolerance)

होल बेसिस टौलरेन्स (hole basis tolerance)

इस प्रणाली में शाफ्ट का साइज स्थिर(fix) रखा जाता है और टौलरेन्स केवल छेद(hole) के साइज पर दी जाती है |
इस प्रणाली का उपयोग अधिकतम किया जाता है | क्योंकि किसी भी मानक साइज के छेद को आसानी से और शुद्धता में बनाया जा सकता है |

शाफ्ट बेसिस टौलरेन्स (shaft basis tolerance)

इस प्रणाली में शाफ्ट का साइज स्थिर रखा जाता है|
और टौलरेन्स केवल छेद के साइज पर दी जाती है |
इस प्रणाली का उपयोग होल बेसिस प्रणाली की अपेक्षा कम किया जाता है |

दोस्तों इस पोस्ट में हमने जाना टौलरेन्स क्या है और इसके क्या लाभ है, तथा टौलरेन्स की पद्धतियां, यूनिलैटरल टौलरेन्स, बाइलेटरल टौलरेन्स, मौलिक टौलरेन्स, और टौलरेन्स जोन को विस्तार से जाना |


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