ग्राइण्डिंग क्या है | grinding kya hai और इसमें कौन से आपघर्षक (abrassive) प्रयोग किए जाते हैं

 

दोस्तों इस पोस्ट में हम जानेंगे ग्राइण्डिंग क्या है grinding kya hai और इसमें कौन से आपघर्षक (abrassive) प्रयोग किए जाते हैं|

ग्राइण्डिंग क्या है grinding kya hai

किसी धातु को बारीक (छोटे-छोटे) कणों के रूप में काटने की क्रिया ग्राइण्डिंग कहते हैं |

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इस प्रक्रिया में ग्राइण्डिंग पहिया (grinding wheel) कर्तन औजार(cutting tool) का कार्य करता है|
यह ग्राइण्डिंग पहिया छोटे-छोटे तेज क्रिस्टलो के द्वारा बनाया जाता है| जोकि किसी भी धातु को छोटे-छोटे कणों के रूप में काटता है|
पहिए के ऊपर लगे क्रिस्टल को अपघर्षक (abrassive) कहते है | इसी के आधार पर इस पहिए को अपघर्षक पहिया (abrassive wheel) कहां जाता है|
यह सभी क्रिस्टल आपस में एक दूसरे से बंधे हुए होते हैं|
ग्राइंडिंग क्रिया के द्वारा हम 0.38 मिलीमीटर से 0.76 मिलीमीटर तक की धातु को काट सकते हैं |
ग्राइण्डिंग का उपयोग grinding ka upyog
ग्राइण्डिंग का उपयोग विभिन्न प्रकार के कर्तन औजार(cutting tools) जैसे - प्लेनर, लैथ, स्लोटर मशीन के औजार, ड्रिल, छेनी, रीमार, टेप, डाई, एवं मिलिंग कटर आदि की धार को तेज करने के लिए किया जाता है |
ग्राइण्डिंग द्वारा किसी धातु या जॉब पर से बर्र हटाकर उसे चिकना एवं स्मूथ बनाया जा सकता है |

आपघर्षक (abrassive)

यह किसी ग्राइण्डिंग पहिए (grinding wheel) का वह पदार्थ होता है जो कटिंग का कार्य करता है |
इन पदार्थों का उपयोग ग्राइंडिंग क्रिया के अतिरिक्त लैपिंग, होनिंग, बफिंग, और सुपर फिनिशिंग क्रियाओं के लिए भी किया जाता है |
एर्बेसिव छोटे-छोटे कणों के रूप में अत्यंत कठोर पदार्थ होते हैं जिनके अंदर अनेक प्रकार की तिव्र कोर तथा नोक(point) होते हैं |
एक अच्छे आपघर्षक (abrassive) को शुद्ध होना चाहिए तथा इसमें कड़ेपन(toughness) और कठोरता का गुण भी होना चाहिए |

आपघर्षक के प्रकार (types of abrassive)

आपघर्षक मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं|
1. प्राकृतिक आपघर्षक (natural abrassives)
2. कृत्रिम या निर्मित आकर्षक (artificial aur menufac tured abrassive)

1. प्राकृतिक आपघर्षक (natural abrassives)

इस प्रकार के आपघर्षको को खानों से प्राप्त किया जाता है
इन आपघर्षको मैं अशुद्धता होने के कारण इनको कम प्रयोग में लाया जाता है|
प्राकृतिक आपघर्षको में हीरा, एमरी, ठोस क्वार्ट्ज, कोरन्डम तथा बालू पत्थर(sand stone) आदि आते है |
इनमें बालू पत्थर से ग्राइंडिंग पत्थर (grinding stone) बनाए जाते हैं |
एमरी एलुमिनियम ऑक्साइड से बनाया जाता है इसमें 55% से 65% तक एलुमिना होता है |
कंडोम भी एल्यूमीनियम ऑक्साइड से बनाया जाता है इसमें 75% से 95% तक एलुमिना होता है |
हीरा (diamonds) को सीमेंटेड कार्बाइड टूल की ग्राइंडिंग के लिए प्रयोग में लाया जाता है |

2. कृत्रिम या निर्मित आकर्षक (artificial aur menufac tured abrassive)

ज्यादातर ग्राइंडिंग पहिए कृत्रिम अपघर्षक के द्वारा बनाए जाते हैं, क्योंकि यह शुद्ध होते हैं |
इन अपघर्षको को विद्युत भट्टीयो मैं बनाया जाता है क्योंकि ऐसा करने से इनकी अशुद्धियों को हटाया जा सकता है और रासायनिक क्रिया के लिए ताप प्राप्त हो जाता है |

कृत्रिम अपघर्षक के प्रकार (types of artificial abrasives)

कृत्रिम अपघर्षक मुख्यत चार प्रकार के होते हैं जो कि इस प्रकार है |
1. सिलीकन कार्बाईड या कार्बोरेण्डम (silicon carbide  or carborundum)
2. एल्यूमीनियम ऑक्साइड (aluminium oxide)
3. कृत्रिम हीरे (artificial diamonds)

1. सिलीकान कार्बाईड या कार्बोरेण्डम (silicon carbide  or carborundum)

सिलीकन कार्बाईड के कारण बहुत ही कठोर तथा भंगूर होते हैं इनके कारण इनका प्रयोग कम तनन सामर्थ्य (low tensile strength) वाली धातु को ग्राइंड करने में किया जाता है |
सिलिकॉन कार्बाइड को बनाने के लिए सिलिका सैंड, कोक सा डस्ट (saw dust) तथा नामक बराबर मात्रा में लेकर विद्युत भट्टी में 2000 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान पर गर्म किया जाता है |
गर्म करने से जो अशुद्धियां होती हैं, वह दूर हो जाती है |
भट्टी से जो रवे प्राप्त होते हैं उनको हथौड़ी की सहायता से अथवा रोलरो की सहायता से अपघर्षक कणों के रूप में बदल लिया जाता है|
इन कणों से विद्युत चुंबक की सहायता से लोहे के कणों को निकाल लिया जाता है, इसके बाद इनको अमल तथा छार में डालकर बची हुई अशुद्धियों को भी दूर किया जाता है|
सिलीकन कार्बाईड का रंग चमकदार काला तथा हरा होता है|
स्कोर ब्लैक सिलिकन कार्बाइड तथा ग्रीन सिलिकन कार्बाइड दो भागों में बांटा जाता है |

2. एल्यूमीनियम ऑक्साइड (aluminium oxide)

एल्यूमीनियम ऑक्साइड से बनाए गए ग्राइंडिंग पहिए का प्रयोग उच्च तनन सामर्थ्य (high tensile strength) वाली धातु की ग्राइंडिंग करने के लिए किया जाता है|
एल्यूमीनियम ऑक्साइड बॉक्साइट नामक खनिज (अयस्क) से बनाया जाता है |
एल्युमिनियम ऑक्साइड को बनाने के लिए भट्टी के इलेक्ट्रॉन को ऑक्साइड के संपर्क में लाया जाता है |
इलेक्ट्रॉडो में रखी ग्रेफाइट चालक का कार्य करती है |
ऑक्साइड के पिघलने के बाद एलुमिनियम ऑक्साइड को कणों के रूप में बाहर निकाल लेते हैं फिर इन्हें हथौड़ी के द्वारा या रोलरो की सहायता से छोटे-छोटे कणों में बदलकर छलनीयो की सहायता से छानकर ग्रेडिंग कर लेते हैं |
यह कण कठोर (hard) तथा कड़े (tough) होते हैं |
इन कणों का रंग नीला या भुरा होता है |
एलुमिनियम ऑक्साइड नियमित एलुमिनियम ऑक्साइड तथा व्हाइट एलुमिनम ऑक्साइड दो भागों में मिलते हैं |

3. कृत्रिम हीरे (artificial diamonds)

यह कृत्रिम रूप में पाये जाते हैं, जो कि प्राकृतिक हीरो की तरह कठोर होते है |
इनकी परिणाम बहुत अच्छे होते हैं |

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