इस पोस्ट में हम जानेंगे ITI Fitter Theory के अध्याय सोल्डरिंग (Soldering) सोल्डरिंग के प्रकार Types Of Soldering और सोल्डरिंग फ्लक्स के प्रकार Types Of Soldering Flux के बारे में
सोल्डरिंग (Soldering)
दो एक-सी धातुओं, खासतौर पर पतली चादरों (Sheets) को आपस में अर्द्ध-स्थायी रूप से जोड़ने की विधि को सोल्डरिंग कहते हैं। धातु के टुकड़ों को जोड़ने के लिए एक अन्य फिलर मैटल प्रयोग की जाती है और इस जोड़ने वाली धातु को ही
सोल्डर (Solder) कहते हैं। सोल्डर को पिघली हुई अवस्था में प्रयोग किया जाता है। सोल्डर मुख्यतः लैड (Lead) और टिन (Tin) की ऐलॉय (Alloy) होती है। कभी-कभी इसका गलनांक (Melting Point) कम करने के लिए दूसरी धातुएं भी मिलाई जाती हैं।
साधारण सोल्डर का गलनांक 200°C होता है।
सोल्डरिंग के लिए उपयोगी फिलर मैटल अर्थात्
सोल्डर का गलनांक 350°C से कम ही होना चाहिए।
सोल्डर के मिश्रण एवं उपयोग
सोल्डर के प्रकार Types Of Solder
सोल्डर को दो भागों में बांटा गया है जो निम्नलिखित है|
- नरम सोल्डर (Soft Solder)
- कठोर सोल्डर (Hard Solder)
नरम सोल्डर (Soft Solder)
इसका प्रयोग प्रायः उन पतली चादरों (Sheets) को जोड़ने के लिए किया जाता है, जिन्हें न तो ऊँचे तापमान का सामना करना पडे और न ही अधिक बल और भार सहना हो। इसके अतिरिक्त छोटे-छोटे पार्ट्स तथा तारों को जोड़ने के लिए भी इसका प्रयोग किया जाता है। यह सोल्डर मुख्यतः
सीसे (Lead) और टिन (Tin) को मिलाकर बनाया जाता है।
इसके पिघलने का तापमान
150-300°C तक होता है परंतु इसमें विस्मथ और एंटीमनी मिलाने से इसका गलनांक (Melting Point) बहुत कम अर्थात् 56°C तक गिर जाता है। नरम सोल्डर के विभिन्न मिश्रण एवं उपयोग उपरोक्त तालिका में दिखाए गए हैं, इसका इस्तेमाल अधिकतर स्टील, ताँबा, पीतल और टिन आदि की बनी हल्की वस्तुओं को जोड़ने के लिए किया जाता है। इसका सबसे अधिक इस्तेमाल बिजली और रेडियो के कामों में तांबे के तार का जोड़ या कनैक्शन बनाने के लिए किया जाता है।
नरम सोल्डर से बनाए गए जोड़ 300°C तापमान पर खुल जाते हैं, साथ ही यह अधिक मजबूत भी नहीं होता। अतः जहाँ अधिक मजबूती की आवश्यकता हो या जॉब कंपन्न और उच्च तापमान के अधीन हो, वहाँ नरम सोल्डर का प्रयोग न करके कठोर सोल्डर इस्तेमाल किया जाता है।
कठोर सोल्डर (Hard Solder)
यह
ताँबे (Copper) और जस्ते (Zinc) की एलॉय है, जिसे सिल्वर सोल्डर बनाने के लिए कभी-कभी थोड़ी-सी चाँदी (Silver) भी मिला ली जाती है।
यह नरम सोल्डर की अपेक्षा अधिक कठोर होता है तथा
Hard Solder का गलनांक 350-600°C तक होता है
इसका इस्तेमाल कठोर सोल्डरिंग (Hard Soldering) अर्थात् ब्रेजिंग (Brazing) में किया जाता है। कठोर सोल्डर में जस्ते (Zinc) की मात्रा बढ़ाने से गलनांक कम होता है, ताँबे की मात्रा बढ़ाने से गलनांक बढ़ता है। 700°C से कम तापमान पर पिघलने वाली धातुओं पर ब्रेजिंग नहीं की जा सकती। इसका जोड़ बहुत मजबूत होता है, अतः भारी भार एवं कंपन्न बर्दाश्त करने वाले और ऊँचे तापमान के अधीन रहने वाले जॉब (Jobs) को कठोर सोल्डरिंग अर्थात् ब्रेजिंग के द्वारा जोड़ा जाता है।
स्पैल्टर (Spelter)
यह ताँबा और जस्ता या ताँबा, जस्ता तथा टिन अथवा ताँबा, जस्ता और कैडमियम मिलाकर बनाया जाता है। अधिकतर ताँबा और जस्ता बराबर-बराबर मात्रा में मिलाए जाते हैं।
2/3 भांग तांबा और 1/3 भाग जस्ता मिलाकर तैयार किया गया स्पैल्टर बहुत मजबूत जोड़ तैयार करता है 1/2 भाग ताँबा, 3/8 भाग जस्ता और 1/8 भाग टिन मिलाने से बहुत अच्छा
स्पैल्टर तैयार होता है।
यह दानेदार या तार की शक्ल में मिलता है।
इससे अधिकतर ताँबा और स्टील आदि के जोड़ तैयार किए जाते है|
इससे पीतल भी जोड़ा जा सकता है। परन्तु इसके लिए स्पैल्टर का गलनांक कम करना पड़ता है।
सिल्वर सोल्डर (Silcver Solder)
यह ताँबा और चाँदी या ताँबा, चाँदी और जस्ता मिलाकर बनाया जाता है। यह अधिकतर 5 भागं ताँबा, 3 भाग जस्ता और 2 भाग 'चाँदी मिलाकर बनाया जाता है।
Silcver Solder का गलनांक नरम सोल्डर से अधिक लेकिन स्पैल्टर से बहुत कम होता है।
यह पतली पत्ती की शक्ल में मिलता है, जिसे आवश्यकता के अनुसार छोटे-छोटे टुकड़ो में काटा जा सकता है। इससे स्टेनलेस स्टील और निकिल को बहुत सफाई के साथ जोड़ा जा सकता है। वास्तव में यह सुनारी सोल्डर है, जिसका इस्तेमाल सुनार चाँदी और सोने के गहने बनाने में करते हैं।
सिल्वर सोल्डरिंग में उष्मा (Heart) देने के लिए ब्लो-पाइप (Blow Pipe) की आवश्यकता होती है |
सोल्डर वायर तथा स्टिक (Solder Wire and Stick)
साधारण प्रयोग में लाए जाने वाले सोल्डर तार या छड़ों के रूप में मिलते हैं। आवश्यकता के अनुसार इनके अवयवों की मात्रा में भिन्नता होती है क्योंकि ये विभिन्न धातुओं की सोल्डरिंग करने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं और इन रूपों में ये स्वचालित ( Automatic) सोल्डरिंग विधियों के लिए भी उपयोग में लाए जाते हैं|
रेजिन कोर्ड सोल्डर (Resin Cored Solder)
सोल्डरिंग करते समय साधारणतया तीन क्रियाओं को एक साथ किया जाता है,
- फलक्स (Flux) लगाना
- सोल्डरिंग आयरन को गरम करना तथा
- सोल्डरिंग करना।
ये तीनों ही कार्य अलग-अलग करने होते हैं। सोल्डरिंग करते समय सबसे पहले फ्लक्स लगाया जाता है और फिर शेष दोनों क्रियाएँ की जाती हैं। यदि तीनों क्रियाएँ एक साथ की जाएं तो समय भी कम लगेगा और जोड़ भी मजबूत बनेगा। इसके लिए एक विशेष प्रकार के सोल्डर वायर का उपयोग किया जाता है। जिसके बीच में फ्लक्स ठोस, पाउडर या गाढ़े पेस्ट के रूप में स्थित रहता है। इसे फ्लक्स कोर्ड वायर कहते हैं।
जब वायर का किनारा गरम सतह पर लगाया जाता है तो उपयुक्त तापमान होने पर पहले फ्लक्स पिघलकर सतह पर फैलता है और फिर सोल्डर पिघलकर फ्लक्स लगी सतह पर बहता है और ठंडा होकर जोड़ बना देता है। कोर्ड सोल्डर वायर के प्रयोग से फ्लक्स के कम या अधिक लगने का डर नहीं रहता क्योंकि इससे नियंत्रित मात्रा (
वाछित मात्रा) में फ्लक्स निकलता है। यह लगभग स्वचालित (Automatic) के जैसा ही होता है तथा बिना क्रिया वाला फ्लक्स सतह पर नहीं बचता और साफ सुथरा जोड़ तैयार हो जाता है।
फ्लक्स (Flux)
इसका प्रयोग जोड़ी जाने वाली सतह को ऑक्सीडेशन से बचाने तथा सोल्डर को पिघलाने के लिए किया जाता है। यह सतह को साफ रखता है तथा सोल्डर को फैलाने में भी सहायता करता है अर्थात् इसके प्रयोग से जोड़ की सतह पर जमी कार्बन एवं अन्य अशुद्धियाँ साफ हो जाती हैं।
ये सोल्डर को शीघ्र पिघलाने में सहायक होते हैं,
ये सोल्डर को शीघ्र बहने में सहायता करते हैं ताकि सोल्डर
तंग जगह में भी आसानी से पहुंच जाए,
यह धात पर सोल्डर को पकड़ को मजबूत बनाने में सहायक होता है|
सामान्य रूप से प्रयोग किए जाने वाले फ्लक्स जिंक क्लोराइड या अमोनियम क्लोराइड अथवा दोनों पानी में घोलकर या पैट्रोल में मिलाकर बनाए जाते हैं।
Flux में प्रायः 71% जिंक क्लोराइड तथा 29% अमोनियम क्लोराइड मिलाया जाता है।
सोल्डरिंग फ्लक्स के प्रकार Types Of Soldering Flux
कोरोसिस एलवरा Corrusive Tax)
यह क्षार ( Alkali) तथा तेजाव (Acid) आदि के बनाये जाते हैं जैसे जिंक क्लोराइड सोल्युशन, नमक का तेजाब (Hydrochloric Acid) तथा नौसादर आदि। फ्लक्स अगर
धातु पर लगे रहें तो धातु को क्षति पहुँचाते हैं और धातु पर जंग आदि लग जाता है। इसका प्रयोग कभी भी रेडियो, टेलीविजन तथा एयरक्राफ्ट के भागों में नहीं करना चाहिए। सामान्य रूप से प्रयोग किये जाने वाला सक्रिय फ्लक्स (Active Flux) हाइड्रोक्लोरिक एसिड में जिंक को घोलकर तैयार किया जाता है। इसकी संक्षारण क्रिया (Corrosive Action) में कमी लाने के लिए इसमें कुछ ग्लिसरीन भी मिला दी जाती है। यह जोड़े जाने वाले भागों के ऊपर से ग्रीस एवं तेल हटाने के लिए बहुत उपयुक्त होता है।
नॉन-कोरोसिव फ्लक्स (Non-Corrosive Flux)
ऐसे फ्लक्स जिनके धातु पर लगे रहने से धातु को कोई नुकसान न पहुँचे, उन्हें नॉन-कोरोसिब फ्लक्स कहते हैं, जैसे : बिरौजा, सुहागा, तारपीन का तेल आदि। निष्क्रिय (Passive) फ्लक्स कार्य पर गाढ़े पेस्ट के रूप में इस्तेमाल किए जा सकते हैं। जोड़ की सफलता के लिए उसको साफ करना आवश्यक है क्योंकि ये फ्लक्स सफाई कार्य नहीं करते। इस फ्लस्क के इस्तेमाल से संक्षारण (Corrosion) की संभावना नहीं रहती है और इसी कारण से इसे बिजली के कार्यों, रेडियो, टेलीविजन तथा एयरक्रास्ट के भागों को जोड़ने के लिए वरीयता के साथ प्रयोग करते हैं।
जिस माध्यम से ज्वाइन्ट को साफ किया जाता है, उसे फ्लक्स कहते हैं। यह प्राय: तरल, पेस्ट या पाउडर के रूप में पाया जाता है। जब सोल्डरिंग या ब्रेजिंग की जाती है तो जोड़ के ऊपर फ्लक्स को लगाया जाता है।
फ्लक्स के निम्नलिखित मुख्य कार्य होते हैं
जोड़ को साफ करना।
जोड़ के ऊपर सोल्डर या स्पैल्टर की मजबूत पकड़ लाना।
धातु एवं फ्लक्स (Metal and Fluxes)
मुख्य फ्लक्स (Main Flux)
हाइड्रोक्लोरिक एसिड (Hydrochloric Acid)
सोल्डरिंग के लिए इस अम्ल को पानी में डालकर हल्का कर लिया जाता है। यह नरम और कठोर दोनों प्रकार के सोल्डर के लिए उपयोगी है। इसमें जिंक के टुकड़े डालकर इसे साधारण कार्य के लिए उपयोगी बना लिया जाता है।
यह एक जहरीला द्रव है और प्रयोग करते समय पर्याप्त सावधानी बरतनी चाहिए। मुख्यतः जिंक चादर या जिंक लेपित चादरों (Galvanics Sheets) का सोल्डरिंग करते समय इसे प्रयोग किया जाता है।
जिंक क्लोराइड (Zime Chloride)
इस फ्लक्स को ताँबे, पीतल, इस्पात तथा लोहे आदि के लिए प्रयोग किया जाता है। इसे चूर्ण के रूप से सतहों पर छिड़कते हैं या पानी में घोलकर प्रयोग करते हैं। इसके लिए तीन भाग पानी में एक भाग जिंक क्लोराइड मिलाते
हैं। जिंक क्लोराइड को शीशे के बर्तन में रखा जाता है |
सुहागा (Borax)
इसे चाँदी तथा ताँबे (Copper) के ब्रेजिंग में प्रयोग किया जाता है। इसको चूर्ण के रूप में सतहों पर छिड़कते है या पानी में घोलकर प्रयोग करते हैं।
रेजिन (Resin)
इसे चूर्ण, छड़ या तरल के रूप में प्रयोग किया जाता है। यह तरल ऑक्साइडों को घोलता तो नहीं है परंतु धातु को ऑक्सीकरण से बचाता है। यह नॉन कोरोसिव फ्लक्स है तथा अधिकतर विद्युत जोड़ों के लिए प्रयोग किया जाता है।
सोल्डरिंग पेस्ट (Soldering Paste)
यह पेस्ट जिंक क्लोराइड को स्टार्च (Starch) में मिलाकर बनाया जाता है। कुछ सोल्डरिंग पेस्ट जिंक क्लोराइड, पैट्रोलियम जैली मिलाकर भी बनाए जाते हैं।
साल अमोनिक (Sal Ammoniac)
यह पाउडर या रवों के रूप में नरम सोल्डर के साथ प्रयोग किया जाता है। यह धातु सतहों पर से चिकने पदार्थों को घोल लेता है। इसकी 100 ग्राम मात्रा को आधा लीटर पानी में मिलाकर घोल बनाया जाता है। यह घोल सोल्डरिंग आयरन की बिट को साफ करने के काम में आता है।
सोल्डरिंग आयरन् (Soldering Iron)
सोल्डरिंग करने के लिए जिस टूल का प्रयोग किया जाता है उसे सोल्डरिंग आयरन कहते हैं। इसके हैंडल, शैंक और टिप तीन मुख्य पार्ट होते हैं।
सोल्डरिंग आयरन के प्रकार Types Of Soldering Iron
प्लेन सोल्डरिंग आयरन (Plain Soldering Iron)
इस प्रकार के सोल्डरिंग आयरन में गोल, षट्भुज या अष्टभुज तांबे की टिप लगी होती है, जिसका आगे का सिरा टेपर करके नुकीला बना दिया जाता है। इसका प्रयोग प्राय: हल्के कार्यों के लिए किया जाता है।
हैचेट सोल्डरिंग आयरन (Hatchet Soldering Iron)
इस प्रकार के सोल्डरिंग आयरन का टिप प्राय: तांबे का होता है जिसका आकार कुल्हाड़ी जैसा होता है।
यह प्लेन सोल्डरिंग आयरन की अपेक्षा कुछ बड़े साइज की होती है|
इसका प्रयोग प्रायः साधारण कार्यों के लिए किया जाता है।
गैस सोल्डरिंग आयरन (Gas Soldering Iron)
इस प्रकार की सोल्डरिंग आयरन में एक हॉलो पाईप और एक डॉलो कॉपर टिप होती है। जिनको एक हॉलों हैंडल के साथ फिट कर दिया जाता है। हैंडल के सिरे पर गैस का एक फ्लैक्सीबल पाईप फिट कर दिया जाता है जिससे गैस प्रवाहित की जाती है
और टिप पर बने हुए हवा के सुराखों से गैस की ज्वाला उत्पन्न होती है। इस प्रकार की सोल्डरिंग आयरन प्राय: वहाँ पर प्रयोग में लायी जाती है, जहाँ पर सोल्डरिंग कार्य लगातार करना होता है।
कार्टिज सोल्डरिंग आयरन (Cartridge Solddering Iron)
इस प्रकार के सोल्डरिंग हैंडल के साथ आयान में एक कार्टिज चैम्बर होता है, जिसके एक सिरे पर कॉपर टिप और दूसरे सिरे पर एक गोल रॉड फिट रहते हैं। चैम्बर के अन्छर एक कार्टिज रखी जाती है, जिसमें मैगनीशियम कम्पाउंड का मिक्स्चर भरा रहता है। हैंडल के साथ फिट की हुई रॉड से धक्का लगाकर इसमें ज्वाला उत्पन्न की जाती है, जिससे टिप गर्म हो जाती है। एक कार्टिज लगभग 7 मिनट तक सोल्डरिंग आयरन को गर्म रख पाती है, जिससे टिप गर्म हो जाती है। इस प्रकार की सोल्डरिंग आयरन प्राय: वहां पर प्रयोग की जाती है, जहाँ पर अधिक कठिन सोल्डरिंग करनी पड़ती है।
इलैक्ट्रिक सोल्डरिंग आयरन (Electric Soldering Iron)
इस प्रकार के सोल्डरिंग आयरन को बिजली के द्वारा गर्म किया जाता है, जिसके सिरे पर ताँबे की एक प्लेन टिप लगायी जाती है। इस सोल्डरिंग आयरन का प्रयोग प्राय: हल्के कार्यो जैसे रेडियो, ट्रांजिस्टर, टेलीविजन आदि में विद्युत के तारों को जोड़ने में किया जाता है। इसके अन्दर एक एलीमेंट होता है, जिसमें विद्युत धारा प्रवाहित करके इसे गर्म किया जाता है। इस एलीमेंट को माइका इन्सूलेटर के द्वारा बिट से अलग किया जाता है। ये 25 से150 वाट के हीटिंग एलीमेंट्स की रेन्ज में मिलती हैं
5/32" व्यास की बिट वाली 25 वाट की सोल्डरिंग आयरन
इलैक्ट्रॉनिक कार्य एवं छोटे धातु पात्रों के लिए संतोषजनक है। बड़े टर्मिनल्स (जैसे कुछ ट्रान्सफॉर्मस पर) और मध्यम साइज के धातु पात्रों के लिए 5.8" व्यास की बिट एवं 80 वाट की सोल्डरिंग आयरन को उपयोग में लाना चाहिए।
सोल्डरिंग का वर्गीकरण (Classification of Soldering)
नरम सोल्डरिंग (Soft Soldering)
नरम (Soft) सोल्डरिंग के लिए
सोल्डरिंग आयरन एक मुख्य टूल है, जिसके द्वारा सोल्डर को पिघलाते हैं और जोड़ी जाने वाली सतह पर लगाकर पिघले हुए पदार्थ को पतली परत के रूप में फैलाते हुए चले जाते हैं। सोल्डरिंग का वर्गीकरण प्रयोग में लाई जाने वाली सोल्डरिंग आयरन को गरम करने के आधार पर किया जाता है और इस आधार पर इस प्रोसिस को निम्नलिखित दो वर्गों में बांटा जा सकता है
-
फोर्ज सोल्डरिंग (Forge Soldering)
-
विद्युत या गैस सोल्डरिंग (Electric or Gas Soldering)
फोर्ज सोल्डरिंग (Forge Soldering)
इसमें प्रयोग होने वाली सोल्डरिंग आयरन को लकड़ी,
कोयले, गैस या स्टोव से गरम किया जाता है। गरम करने वाले माध्यम से हटाकर इसे उपयुक्त फ्लक्स में डुबोकर सोल्डर पर रगड़ते हैं, जिससे पिघलकर सोल्डर इस पर चिपक जाए। अब सोल्डर लगी हुई बिट को जोड़ पर रगड़ते हैं। काफी देर तक सोल्डरिंग करते समय सोल्डरिंग आयरन को थोड़ी-थोड़ी देर बाद गरम करना पड़ता है।
विद्युत या गैस सोल्डरिंग (Electric or Gas Soldering)
इसके अंतर्गत
सोल्डरिंग आयरन को विद्युत, गैस या तेल के लगातार बहाव से स्वयं अंदर ही अंदर गरम होने देते हैं। यह प्रोसिस सामान्तया लम्बे समय तक सोल्डरिंग करने के लिए प्रयोग की जाती है। गरमी के स्त्रोत (Source) के आधार पर सोल्डरिंग आयरन कई प्रकार की होती हैं। जब सोल्डरिंग आयरन को विद्युत पावर से गरम किया जाता है, तब इसे विद्युत सोल्डरिंग कहते हैं।
लेखक की कलम से-
दोस्तों में हूं Sunil Kumar Yadav और इस पोस्ट में हमने जाना आईटीआई फिटर थ्योरी ITI Fitter theory के अध्याय सोल्डरिंग (Soldering) सोल्डरिंग के प्रकार Types Of Soldering और सोल्डरिंग फ्लक्स के प्रकार Types Of Soldering Flux के बारे में | जैसा कि मैं उम्मीद करता हूं इस पोस्ट में आपने सोल्डरिंग (Soldering) के बारे में उचित जानकारी प्राप्त की होगी | इसी प्रकार ITI Fitter Theory से संबंधित जानकारी प्राप्त करने और ITI Online Exam की प्रैक्टिस के लिए हमारे साथ बने रहे तथा अपने दोस्तों को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें | इस पोस्ट के बारे में अगर आपका कोई सुझाव या शिकायत है तो कृपया हमें टिप्पणी(comments) करें हमें आपकी प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा धन्यवाद |