शीतलक और स्नेहक में अंतर | difference between coolant and lubricants in Hindi

 शीतलक और स्नेहक में अंतर | difference between coolant and lubricants in Hindi

दोस्तो आज हम जानेंगे शीतलक और स्नेहक में अंतर | difference between coolant and lubricants in Hindi

किसी भी काटने वाले उपकरण को ठंडा रखने के लिए शीतलक (coolant) का प्रयोग किया जाता है किसी धातु को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटने और चिप्स के रूप में काटने के लिए भी शीतलक (coolant) का उपयोग किया जाता है |

जबकि स्नेहक(lubricants) का उपयोग किन्हीं दो चलते हुए भागों के बीच घर्षण को कम करने तथा चिकनाहट के लिए किया जाता है स्नेहक मशीन में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है इसे सभी मशीनों पर उपयोग में लाया जाता है जैसे खराद मशीन मिलिंग मशीन आदि की जीवन और दक्षता स्नेहक के प्रयोग से और अधिक बढ़ जाती है |



आइए जानते हैं स्नेहक और शीतलक में अंतर - को हम निम्नलिखित सारणी के माध्यम से जानेंगे |

शीतलक और स्नेहक में अंतर | difference between coolant and lubricants in Hindi

शीतलक ( Coolant )

स्नेहक ( Lubricant )

शीतलक ( Coolant )इसका प्रयोग कार्यखण्ड और कर्तन औजार ( Cutting Cool ) से उत्पन्न हुई ऊष्मा को दूर करने के लिए किया जाता है । स्नेहक ( Lubricant )इसका प्रयोग दो मिलकर चलने वाले पुर्जो ( Parts ) की घर्षण द्वारा उत्पन्न ऊष्मा को कम करने के लिए किया जाता है ।
शीतलक ( Coolant )इसके प्रयोग से छीलन ( Chips ) को औजार ( Tools ) के कलक ( Face ) के साथ वैल्ड नहीं होता है | स्नेहक ( Lubricant )इसके प्रयोग से चलने वाले पुर्जे ( Parts ) जाम नहीं होते हैं ।
शीतलक ( Coolant )औजार ( Tool ) की कर्तन ( Cutting ) क्षमता बढ़ती है । स्नेहक ( Lubricant )इसके प्रयोग से मशीन को उच्च गति ( High Speed ) पर चलाया जा सकता है 1
शीतलक ( Coolant )इसके प्रयोग से कम शक्ति लगाकर अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है । स्नेहक ( Lubricant )इसमें भी कम शक्ति लगानी पड़ती है क्योंकि तेल की एक चिकनी परत सम्पर्क गति करने वाले पुर्जों ( Parts ) के बीच बन जाती है ।
शीतलक ( Coolant )कार्यखण्ड या जॉब पर अच्छी फिनिश आती है । स्नेहक ( Lubricant )इसके प्रयोग से मशीन की यथार्थता ( Accuracy ) लम्बे समय तक बनी रहती है ।
शीतलक ( Coolant )इसके प्रयोग से औजार ( Tool ) का जीवन - काल बढ़ता है । स्नेहक ( Lubricant )इसके प्रयोग से मशीन का जीवन - काल बढ़ता है ।
शीतलक ( Coolant )इसके प्रयोग से प्रयोग किये जाने वाले औजार पर जंग नहीं लगता है 1 स्नेहक ( Lubricant )इसके प्रयोग से मशीन के पुर्जों ( Parts ) पर जंग नहीं लगता है ।

इस पोस्ट में हमने शीतलक और स्नेहक में अंतर | difference between coolant and lubricants in Hindi के बारे में विस्तार पूर्वक जानम उम्मीद है आपको यह जानकारी पसंद आई होगी अगर आपको यह पोस्ट अच्छा लगा तो कृपया इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करें धन्यवाद 

होनिंग और लैपिंग में अंतर | difference between honng and lapping in Hindi

 होनिंग और लैपिंग में अंतर | difference between honng and lapping in Hindi


दोस्तों इस पोस्ट में हम जानेंगे होनिंग और लैपिंग में अंतर | difference between honng and lapping in Hindi और होनिंग और लैपिंग से संबंधित पूछे जाने वाले प्रश्नों के बारे में

लैपिंग और होनिंग दोनों ही एक मशीनिंग प्रक्रिया है जिसका उपयोग किसी भी प्रकार की धातु की सतह की फिनिशिंग में सुधार करने के लिए किया जाता है लेकिन लैपिंग और होनिंग में कुछ सामान्य अंतर है जिसके बारे में हम पूरी तरह से विस्तार से इस पोस्ट में जानेंगे।

आज के दौर में दोनों मशीनिंग प्रक्रिया पूरी तरह से स्वचालित है जो सीएनसी मशीनों पर आसानी से की जा सकती है |

होनिंग और लैपिंग में निम्नलिखित अंतर है |

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होनिंग और लैपिंग में अंतर | difference between honng and lapping in Hindi


लैपिंग ( Lapping ) होनिंग ( Honing )
लैपिंग ( Lapping )इसमें मुलायम धातु के लैप का प्रयोग लैपिंग कम्पाउन्ड के साथ किया जाता है । होनिंग ( Honing )इसमें होनिंग स्टोन का प्रयोग किया जाता है ।
लैपिंग ( Lapping )यह क्रिया हाथ तथा मशीन दोनों के द्वारा की जा सकती है । होनिंग ( Honing )यह क्रिया केवल मशीन के द्वारा की जाती है ।
लैपिंग ( Lapping )इस क्रिया में शीतलक ( Coolant ) की आवश्यकता नहीं होती है । होनिंग ( Honing )इस क्रिया में शीतलक ( Coolant ) की आवश्यकता होती है ।
लैपिंग ( Lapping )इसमें कार्य करने की गति ( Speed ) कम होती है । होनिंग ( Honing )इसमें कार्य करने की गति ( Speed ) अधिक होती है ।
लैपिंग ( Lapping )यह क्रिया सपाट ( Flat ) और बेलनाकार ( Cylindrical ) दोनों प्रकार की सतहों पर क जाती है । होनिंग ( Honing )यह क्रिया केवल बेलनाकार सतहों ( Cylindrical surface ) पर की जा सकती है ।
लैपिंग ( Lapping )यह ग्लास की तरह फाइन फ़िनिश सतह प्रदान करती है और यह होनिंग से बेहतर है होनिंग ( Honing )यह लैपिंग से कुछ कम सर्फेस फिनिश प्रदान करती है |
लैपिंग ( Lapping )इस प्रक्रिया में IT 01 टॉलरेंस ग्रेड प्राप्त किया जा सकता है। होनिंग ( Honing )इस प्रक्रिया में IT 01 टॉलरेंस ग्रेड प्राप्त किया जा सकता है।
लैपिंग ( Lapping )स्लाइडिंग सतह के लिए उपयुक्त नहीं है क्योंकि इसमें अधिक चिपकने वाला होता है। होनिंग ( Honing )स्लाइडिंग सतहों के लिए उपयुक्त है।

लैपिंग और होनिंग के लिए पूछे जाने वाले प्रश्न

लैपिंग के लिए किस अपघर्षक का उपयोग किया जाता है?

वर्कपीस और लैपिंग टूल के बीच बहुत छोटे अपघर्षक कणों के लैपिंग स्लरी या तरल निलंबन का उपयोग किया जाता है।

लैपिंग होनिंग और ग्राइंडिंग में क्या अंतर है?

लैपिंग एक मशीनिंग प्रक्रिया है जिसका उपयोग लैपिंग कंपाउंड का उपयोग करके खुरदरापन और अन्य प्रकार की अनियमितताओं को कम करके सतह की फिनिश में सुधार करने के लिए किया जाता है और होनिंग एक अपघर्षक मशीनिंग प्रक्रिया है जिसका उपयोग एक अपघर्षक होनिंग स्टोन को रगड़ कर धातु वर्कपीस की बेलनाकार सतह को खत्म करने के लिए किया जाता है। घिसाई धातु को काटने का अर्थ है कि घिसने वाले पहिये का उपयोग अवांछित सामग्री को हटाने और परिष्कृत सतह प्रदान करने के लिए किया जाता है।

लैपिंग किसके लिए प्रयोग किया जाता है?

लैपिंग का उपयोग बाहरी के साथ-साथ आंतरिक बेलनाकार सतहों और सपाट सतहों की चिकनी फिनिशिंग के लिए किया जाता है।

होनिंग लैपिंग तथा सुपरफिनिशिंग में क्या अंतर है?

आंतरिक बेलनाकार जॉब की फिनिशिंग के लिए होनिंग का उपयोग किया जाता है और सपाट और बेलनाकार सतहों को खत्म करने के लिए लैपिंग का उपयोग किया जाता है जबकि माइक्रोफिनिशिंग के लिए सुपरफिनिशिंग का उपयोग किया जाता है।

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ब्रेजिंग क्या है What Is Brazing in hindi | ब्रेजिंग के प्रकार Types of Brazing ओर ब्रेजिंग के उपयोग

 ब्रेजिंग क्या है What Is Brazing in hindi | ब्रेजिंग के प्रकार Types of Brazing ओर ब्रेजिंग के उपयोग

ब्रेजिंग एक स्थाई बंधक (permanent fastener) है|  यह दो धातुओं को आपस में जोड़ने की एक युक्ति होती है

जैसे हम वेल्डिंग या सोल्डरिंग के द्वारा दो धातुओं को आपस में जोड़ते हैं ठीक उसी प्रकार ब्रेजिंग भी धातुओं को आपस में जोड़ने का कार्य करती है |

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हालांकि यह वेल्डिंग और सोल्डरिंग से थोड़ी सी अलग होती है| जोकि इस पोस्ट में हम आपको बता रहे हैं-  ब्रेजिंग क्या है, What Is Brazing, Brazing करने की विधि, Brazing कितने प्रकार की होती है. Brazing फिलर मैटेरियल, Brazing के उपयोग इन सब के बारे में विस्तार से बताया गया है|

Brazing करने की विधि

  • बेजिंग द्वारा जोड़े जाने वाली सतहों को सबसे पहले सोल्डरिंग की तरह साफ कर लिया जाता है । 
  • फिर इन अंगों पर फ्लक्स लगाकर तथा परस्पर मिलाकर वाँछित जोड़ की आकृति में रखकर पतले तार से बाँध देते हैं , जिससे गरम करने पर ये भाग अलग - अलग न हो जायें । 
  • फ्लक्स के रूप में सुहागा ( Borax ) का उपयोग किया जाता है । कार्य को ब्रेजिंग भट्टी ( Brazing Hearth ) में रखकर इस पर चारों ओर से कोयला या एस्बेस्टस के छोटे टुकड़े भर देते हैं , जिससे वे ऊष्मा को बाहर न निकलने दें । 
  • जब कार्य आवश्यक तापमान तक गरम हो जाता है तो जोड़ पर कठोर सोल्डर या स्पेल्टर ( Spelter ) को रखते हैं ।
  • जैसे - जैसे सोल्डर पिघलता है , यह जोड़ पर बहता है तथा ब्रेजिंग होती है । ब्रेजिंग के बाद कार्य को धीरे - धीरे ठंडा होने दिया जाता है । ठंडा होने पर कार्य को 5 % कास्टिक सोडे के उबलते घोल में डालकर जोड़ पर शेष बचे फ्लक्स को हटा दिया जाता है ।
  •  इसके पश्चात् कार्य को पानी से धोकर साफ कर दिया जाता ब्रेजिंग समान तथा असमान धातुओं को एक गलनीय एलॉय ( 600 ° C से अधिक गलनांक वाला स्पेल्टर ) द्वारा जोड़ने की विधि है । स्पेल्टर अर्थात् फिलर धातु पाउडर के रूप में कॉपर , टिन और जिंक की एक एलॉय है । 
  • कठोर सोल्डरिंग की इस विधि में फ्लक्स ( बोरेक्स ) को प्रयुक्त किया जाता है । कार्य को गरम किया जाता है ताकि स्पेल्टर पिघल सके और स्पेल्टर को प्रयुक्त करके ठंडा होने दिया जाता है । 
  • यह विधि पाईप एवं उनकी फिटिंग्स , टूल शैंक पर कार्बाइड टिप्स , इलैक्ट्रिक पार्ट्स , रेडिएटर्स , कास्ट आयरन को पार्ट्स की मरम्मत एवं हीट एक्सचेन्जर्स को जोड़ने के लिए उपयोगी है । कठोर सोल्डरिंग की इस विधि द्वारा सोफ्ट सोल्डरिंग प्रोसिस की तुलना में अधिक मजबूत जोड़ बनाए जाते हैं । परन्तु बिट के स्थान पर धातु के टुकड़ों को गरम किया जाता पेस्ट को तैयार करने के लिए स्पेल्टर और बोरेक्स ( फ्लक्स ) को मिलाकर पानी की उपयुक्त मात्रा मिलाई जाती है |

ब्रेजिंग के प्रकार ( Types of Brazing )

ब्रेजिंग मुख्य से पांच प्रकार से की जाती है जो निम्न प्रकार है-

  1. टॉर्च ब्रेजिंग ( Torch Brazing ) 
  2. प्रतिरोध ब्रेजिंग ( Resistance Brazing ) 
  3. फरनैस ब्रेजिंग ( Furnace Brazing )
  4. उच्च आवृति ब्रेजिंग ( High Frequency Brazing )
  5. मैटल बाथ ब्रेजिंग ( Metal Bath Brazing )


टॉर्च ब्रेजिंग ( Torch Brazing ) 

ब्रेजिंग के लिए प्रयोग की जाने वाली अत्यंत साधारण विधि है । धातुओं को ब्रेज करने से पहले दोनों टुकड़ों को एक समान रूप से गरम करने के लिए प्राकृतिक ज्वाला ( Natural Flame ) का प्रयोग किया जाता हैं |

प्रयोग किए जाने वाले ईंधन ( Fuel ) ऑक्सी - ऐसिटलीन , ऑक्सी हाइड्रोजन अथवा प्राकृतिक गैस हो सकते हैं । दोनों अवयवों को एक समान ब्रेजिंग तापमान तक लाने के लिए इन्हें जोड़ों के आस - पास भी गरम किया जाता है |

आपरेशन को तेज गति से करने तथा पार्ट्स को समान रूप से गरम करने के लिए प्राय : मल्टीपल टिप टॉर्च का प्रयोग किया जाता है ।

प्रतिरोध ब्रेजिंग ( Resistance Brazing ) 

इस प्रोसिस में ब्रेज किए जाने वाले पार्ट्स में से विद्युत धारा पास की जाती है । धारा के प्रवाह के लिए उत्पन्न हुआ प्रतिरोध ऊष्मा ( Heat ) उत्पन्न करता है और ब्रेजिंग पदार्थ एवं फ्लक्स को पिघला देता है ।

रेजिस्टैंस के उपयोग हेतु जल शीतित कार्बन इलैक्ट्रोड रखने वाली विशेष प्रकार की मशीनें डिजाइन की गई है ।

इस प्रोसेस के मुख्य लाभ- 

( i ) दाब के अंतर्गत गरम करना , 

( ii ) तेजी से गरम और ठंडा करना , ( iii ) ऊष्मा ( Heat पर आसान कंट्रोल तथा ( iv ) अकुशल कारीगरों को स्वीकारना है ।

फरनैस ब्रेजिंग ( Furnace Brazing )

कम से कम ऑक्सिडेशन चाहने वाले जटिल समन्वायोजनों ( Complicate Assemblies ) अथवा बहुत - से जोड़ रखने वाली यूनिटों एवं अधिक संख्या में छोटे - छोटे भागों के उत्पादन कार्यों के लिए प्राय : बिजली से गरमी देने वाली और वातावरण को कंट्रोल करने वाली भट्टियाँ आदर्श रूप से उपयोगी हैं । 

ब्रेज किए जाने वाले अवयव भट्टी में से धीरे - धीरे पास किए जाते हैं । भट्टी की गरमी स्पेल्टर को पिघला देती है और कैपिलरी . क्रिया इसे जोड़ के अंदर ले जाती है ।

बहुत कम फ्लक्स अथवा बिल्कुल नहीं की आवश्यकता होती है क्योंकि भट्टी का सुरक्षित अथवा प्राकृतिक वातावरण ऑक्सीडेशन को कम करता है ।

उच्च आवृति ब्रेजिंग ( High Frequency Brazing)

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धातुओं को जोड़ने की यह तेज और दक्ष ( Efficient ) विधि है । व्यवस्थित करने से पहले पार्ट्स को अच्छी तरह से साफ करके फ्लक्स लगा लेना चाहिए । स्थिति में लाकर कॉइल के अंदर से उच्च आवृत्ति की धारा ( Current ) को तब तक पास किया जाता है जब तक कि टूल ब्रेजिग तापमान तक नहीं पहुंच जाता है । इस विधि की ब्रेजिंग करने की गति ( Speed ) स्वयं ही इसे वृहद उत्पादन ( Mass Production ) की ओर ले जाती है ।

मैटल बाथ ब्रेजिंग ( Metal Bath Brazing )

यह पार्ट्स को डुबोकर की जाने वाली यह विधि है , जिसमें पिघली हुई धातु ( स्पेल्टर ) को छानकर एक कुंड ( Bath ) में भर लिया जाता है और जिन पार्ट्स को जोड़ना होता है , उन पर फ्लक्स लगाकर और कलैम्प करके पिघले हुए स्पेल्टर में डुबोकर ब्रेजिंग कर लो जाती है । इस प्रकार की ब्रेजिंग प्राय : उत्पादन कार्यों के लिए की जाती है ।

 Brazing फिलर मटेरियल

किसी धातु को जोड़ने के लिए जो अतिरिक्त धातु भरी जाती है उसे हम फिलर मटेरियल कहते हैं, इस का गलनांक बिंदु जोड़े जाने वाली धातु से बहुत कम होता है, कुछ ब्रेजिंग तकनीक ऐसी होती हैं जिनमें फिलर मटेरियल को पहले ही ब्रेजिंग पॉइंट पर रखा जाता है, फिलर बनाने के लिए कई प्रकार की धातुओं का इस्तेमाल किया जाता है, जोकि इस प्रकार है -

  • एलमुनियम सिलिकॉन
  • कॉपर सिल्वर
  • कॉपर जिंक
  • सोना सिल्वर
  • सिल्वर
  • निकल मिश्रधातु

ब्रेजिंग के उपयोग ( Applications of Brazing )

  • डाई , पंच एवं कटिंग टूल को बनाने के लिए ।
  • टंगस्टन कार्बाइड जैसे कठोर धातुओं को जोड़ने के लिए । निकल ( Nickel ) और इसकी मिश्र ( Alloy ) धातुओं को जोड़ने के लिए ।
  • स्टीम टरबाइन एवं साइकल के निर्माण के लिए ।
  • कार्बन इस्पातों ( Carbon Steels ) को नॉन -- फैरस धातुओं , जैसे कॉपर या सिल्वर तथा इसके एलॉय से जोड़ने के लिए । 
  • पाइप फिटिंग्स , टैक्स , टूल्स पर कार्बाइड टिप्स , रेडियेटर्स , हीट एक्सचेन्जर्स एवं इलैक्ट्रीकल पार्ट्स को जोड़ने के साथ - साथ ढलाइयों ( Castings ) की मरम्मत करने के लिए Brazing का उपयोग किया जाता है |

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सोल्डरिंग और ब्रेजिंग में अंतर | difference between soldering and Brazing

 सोल्डरिंग और ब्रेजिंग में अंतर | difference between soldering and Brazing

 अगर संक्षेप में देखा जाए तो सोल्डरिंग और ब्रेजिंग के बीच मुख्य अंतर वह तापमान है जिस पर यह प्रक्रिया होती हैं |

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सोल्डरिंग और ब्रेज़िंग दोनों ही अलग-अलग जंवाइंडिंग कंडीशन में इस्तेमाल होने वाली मेटल जांवाइंडिंग प्रोसेस हैं। इन प्रक्रियाओं में अंतर करना थोड़ा भ्रमित करने वाला होता है क्योंकि दोनों प्रक्रियाओं में भराव सामग्री (filler material) का उपयोग किया जाता हैं और वह भी एक महत्वपूर्ण तापमान से नीचे की जाती हैं।

आज हम सोल्डरिंग और ब्रेजिंग में अंतर बताने जा रहे हैं ताकि आप इन प्रक्रियाओं को स्पष्ट रूप से जान व समझ  सकें |

सोल्डरिंग और ब्रेज़िंग के बीच में मुख्य अंतर यह होता है कि सोल्डरिंग का उपयोग धातुओं के बीच विद्युत की सहायता से एक मजबूत जोड़ बनाने के लिए किया जाता है जो सभी विद्युत भार का सामना कर सकता है |

और ब्रेज़िंग का उपयोग एक यांत्रिक मजबूत जोड़ बनाने के लिए किया जाता है जो सभी मैकेनिकल भार और तनाव को सहन करने में सहायक होता है|

सोल्डरिंग और ब्रेजिंग के बीच अंतर को निम्नलिखित सारणी के द्वारा समझा जा सकता है |

सोल्डरिंग और ब्रेजिंग में अंतर | difference between soldering and Brazing 

सोल्डरिंग soldering ब्रेजिंग Brazing
सोल्डरिंग(solderingसोल्डरिंग की प्रक्रिया टिन और लैंड की मिश्र धातु से कीब्रेजिंग तांबे और जस्ते की मिश्र धातु से की जाती है । ब्रेजिंग Brazing  ब्रेजिंग तांबे और जस्ते की मिश्र धातु से की जाती है ।
सोल्डरिंग solderingसोल्डर को सोल्डरिंग आयरन से पिघलाकर सोल्डरिंग की जाती है । ब्रेजिंग Brazingस्पेल्टर को जोड़ के मुंह पर रखकर तथा जॉब और स्पेल्टर को प्रत्यक्ष ताप से गर्म करते हैं और स्पेल्टर को पिघलाकर ब्रेजिंग की जाती है ।
सोल्डरिंग solderingसोल्डरिंग के लिए 350 ° C से कम ताप की आवश्यकता होती है | ब्रेजिंग Brazingब्रेजिंग के लिए 600 ° C से अधिक ताप की आवश्यकता होती है ।
सोल्डरिंग solderingसोल्डरिंग में मैटल के अनुसार तरह-तरह के फ्लक्स इस्तेमाल किये जाते हैं । ब्रेजिंग Brazingब्रेजिंग मे सभी तरह की धातुओं के लिए एक ही फ्लक्स सुहागे , ( Barax ) का इस्तेमाल किया जाता है ।
सोल्डरिंग solderingसोल्डरिंग से तैयार जोड़ कमजोर होता है , अतः वह कम्पन्न बर्दाश्त नहीं कर सकता । ब्रेजिंग Brazingबेंजिंग से तैयार जोड़ मजबूत होता है । अतः कम्पन्न बर्दाश्त कर सकता है ।
सोल्डरिंग solderingसोल्डरिंग से तैयार जोड़ पर ताप देकर जुड़े हुए टुकड़ो को पृथक किया जा सकता है । ब्रेजिंग Brazingब्रेजिंग से तैयार जोड पर ताप पहुँचाकर जुड़े हुए दोनों टुकड़ों को ज्यों का त्यों अलग नहीं किया जा सकता ।
सोल्डरिंग solderingएण्टीमनी , ऐल्यूमिनियम और ऐल्यूमिनियम एलॉय को छोड़कर बाकी सभी धातुओं पर सोल्डरिंग की जा सकती है । ब्रेजिंग Brazing700 ° C से कम तापमान पर पिघलने वाले मैटल तथा मैग्नीशियम और मैग्नीशियम एलॉय पर ब्रेजिंग नहीं की जा सकती है ।

आधार कार्ड में दस्तावेज़ अपलोड Document upload in Aadhar Card

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