धातु का परिचय तथा धातुओं के भौतिक एवं यांत्रिक गुण

 दोस्तों इस पोस्ट में हम जानेंगे धातु का परिचय तथा धातुओं के भौतिक एवं यांत्रिक गुण कौन-कौन से होते हैं |

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धातु का परिचय (introduction of metal)

धातु एक खनिज पदार्थ होता है जो खानों से अयस्क के रूप में निकाला जाता है और तैयार किया जाता है |
धातु ठोस, अपारदर्शक, भारी, तथा विद्युत और ताप की सुचालक होती है |
धातुओं को खींचकर या पीटकर तार अथवा चादर के रूप में बदला जा सकता है|
धातु का उपयोग - मुख्य रूप से इंजीनियरिंग कार्यों में, रेडियो टेलीग्राम, विद्युत का सामान, मोबाइल फोन, शक्ति उत्पन्न करने वाली मशीनें जैसी पुल, रेलवे इंजन, हवाई जहाज, मोटर गाड़ियां आदि बनाने के लिए किया जाता है |

धातुओं के गुण (properties of metals)

धातु में मुख्य रूप से तीन प्रकार के गुण पाए जाते हैं जो निम्नलिखित हैं -
  • भौतिक गुण (physical properties)
  • यांत्रिक गुण (Mechanical properties)
  • रासायनिक गुण (chemical properties)

धातुओं के भौतिक गुण (physical properties of metal)

भौतिक गुण किसी भी धातु में प्राकृतिक रूप से पाए जाते हैं | यह गुण धातु में स्थाई रूप से पाए जाते हैं और भौतिक गुणों के कारण ही धातुओं को देखकर और छूकर हम मालूम कर सकते हैं |
एक धातु में निम्नलिखित भौतिक गुण पाए जाते हैं -
1. रंग (colour)
2. भार (weight)
3. संरचना (structure)
4. चालकता (conductivity)
5. चुम्बकीयता (magnetic)
6. गलनीयता (Fusitility)

1. रंग (colour)-

सभी धातु अलग-अलग रंग की होती हैं, जिसके कारण वह आसानी से पहचानी जा सकती हैं |
जैसे- सोने का रंग सुनहरा, चांदी का रंग सफेद, तांबे का रंग लालपन लिए हुए, पीतल का रंग पीला आदि

2. भार (weight)

सभी धातुओं का भार उनके आयतन के अनुसार निश्चित होता है | अलग-अलग धातुओं का भार अलग अलग होता है | जैसे- सीसा (lead) सबसे भारी होता है वहीं एलुमिनियम सबसे हल्की धातु होती है |
धातुओं का भार प्रति घन सेंटीमीटर में लिया जाता है |

3. संरचना (structure)

किसी भी धातु को अगर तोड़कर देखा जाए तो उनके अंदर की बनावट अलग-अलग होती है, जैसे- ढलवा लोहे (cast iron) की क्रिस्टलाइन, पिटवा लोहे (wrought iron) की आंतरिक संरचना फाइबर्स (fibrous) की होती है, तथा स्टील की आंतरिक बनावट ग्रेनुलर (granular) होती है |

4. चालकता (conductivity)

चालकता धातु का वह गुण है जिसके कारण उष्मा और विद्युत उसकी एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंच जाती है, इसे ही चालक का गुण कहते हैं |

जिन धातुओं में उष्मा व विद्युत का प्रवाह एक स्थान से दूसरे स्थान पर नहीं हो पाता है उसे कुचालक कहा जाता है |

सभी धातुओं में चालकता का गुण विद्यमान होता है इसीलिए ही धातु को विद्युत का सुचालक कहा जाता है |

5. चुम्बकीयता (magnetic)

चुम्बकीयता (magnetic) धातु का वह गुण होता है जिसके कारण एक चुंबक धातु को अपनी ओर खींचता है |
चुम्बकीयता के गुण के कारण ही हमें यह पता लगता है कि कौन सी धातु लौह धातु है तथा कौन सी धातु अलौह धातु है|

6. गलनीयता (Fusitility)

गलनीयता धातु का वह गुण है जिसके कारण प्रत्येक ठोस धातु को एक निश्चित तापमान तक गर्म करने पर वह द्रव के रूप में पिघल जाती है |
गलनीयता के गुण के कारण ही धातुओं को ढालना (casting) संभव हो पाता है |

सभी धातुओं का गलनांक अलग अलग होता है,

 जैसे- तांबे का गलनांक 1080 डिग्री सेंटीग्रेड, ढलवा लोहे का गलनांक 1250 डिग्री सेंटीग्रेड, टिन का गलनांक 230 डिग्री सेंटीग्रेड, और पिटवा लोहे का गलनांक 1600 डिग्री सेंटीग्रेड होता है |

धातुओं के यांत्रिक गुण (Mechanical properties of metals)

अलग-अलग प्रकार के विभिन्न बलों के प्रभाव में धातु की प्रतिक्रिया को दर्शाने वाले गुणधर्म ही धातु के यांत्रिक गुण कहलाते हैं | इंजीनियरिंग के क्षेत्र में  धातुओं के यांत्रिक गुणों का गहनता से अध्ययन किया जाता है क्योंकि किसी भी मशीन का विकास और सफलता इन्हीं गुणों पर आधारित होती है |
सभी धातुओं में कुछ यांत्रिक गुण होते हैं, किंतु धातुओं में अन्य मिश्र धातुएं(Alloy Metals) मिलाकर और अन्य उपयोगी यांत्रिक गुण भी उत्पन्न किए जा सकते हैं, जिससे वस्तुओं (Products) की गुणवत्ता बढाई जा सकती है |

धातुओं में निम्नलिखित यांत्रिक गुण पाए जाते हैं-

1. तन्यता (ductility)
2. आघातवर्धनीयता (malleability)
3. लचीलापन (elasticity)
4. प्लास्टीकता (plasticity)
5. कठोरता (hardness)
6. चीमड़पन (toughness)
7. भंगुरता (brittleness)
8. टेनेसिटी (tenacity)
9. मशीनता (machining)
10. थकान प्रतिरोध (fatigue resistance)

1. तन्यता (ductility)-

किसी भी धातु का वह गुण जिसके कारण उसे खींचने पर बिना टूटे तार के रूप में बदला जा सकता है, इसे तन्यता का गुण कहते हैं |
अगर देखा जाए तो ज्यादातर धातुएं गरम अवस्था की अपेक्षा ठंडी अवस्था में अधिक तन्य होती हैं |

तन्यता का गुण प्लेटिनम में सबसे अधिक होता है |

2. आघातवर्धनीयता (malleability)-

किसी धातु का वह गुण जिसके कारण धातु को ठंडी अवस्था में पीटकर अथवा रोलिंग करके छात्र के रूप में बदला जा सकता है, उसे आघातवर्धनीयता (malleability) का गुण कहते हैं |
इस गुण के कारण इस क्रिया में धातु टूटती और फटती नहीं है |

आघातवर्धनीयता का गुण सोने में सबसे अधिक पाया जाता है |

3. लचीलापन/प्रत्यास्था (elasticity)-

धातु का वह गुण जिसके कारण उस धातु पर बल लगाकर खींचने पर उसकी लंबाई में वृद्धि हो जाए तथा बल को हटाने पर वह पुनः अपनी प्रारंभिक स्थिति में आ जाए तो धातु की इस गुण को लचीलापन या प्रत्यास्था का गुण कहते हैं |
प्रत्यास्था का गुण कम या अधिक सभी धातुओं में पाया जाता है |

4. प्लास्टीकता (plasticity)-

प्लास्टीकता (plasticity) धातु का वह गुण है जिसके कारण उसे उष्मा (heat) या दाब(pressure) देकर निश्चित आकृति में बदला जाए और उष्मा या दाब को हटाने पर वापस अपनी पूर्व स्थिति में नहीं आये तो इस गुण को धातु की प्लास्टीकता का गुण कहते हैं |
प्लास्टीकता के गुण के कारण यदि धातु को पुनः पूर्व स्थिति में लाना है तो उसके लिए उष्मा तथा दाब का होना अति आवश्यक है |

5. कठोरता (hardness)-

किसी धातु का वह गुण जिसके कारण यदि उस धातु को किसी कठोर पदार्थ से काटा, खुरचा या घिसा जाते तो वह इसका विरोध करें तो इस गुण को कठोरता का गुण कहते हैं|
कठोरता के गुण के कारण एक कठोर धातु दूसरी मुलायम धातु को काट, खुरच तथा घिस सकती है |

6. चीमड़पन (toughness)

यह किसी धातु का वह गुण है जिसके कारण  उसे बार-बार मोड़ने यह मरोड़ने पर टूटती नहीं है, इसे चीमड़पन का गुण कहते हैं |
चीमड़पन (toughness) के गुण के कारण ही धातु के तार के रस्से बनाए जाते हैं |

7. भंगुरता (brittleness)

भंगुरता धातु का वह गुण है जिसके कारण उसे चोट लगाने पर वह टुकड़े-टुकड़े के रूप में अथवा पाउडर के रूप में बदल जाती है, इसी गुण को धातु की भंगुरता का गुण कहते हैं |
भंगुरता का गुण ढलवा लोहा (cast iron) तथा सीसा (lead) में अधिक पाया जाता है |

8. टेनेसिटी (tenacity)

यह धातु का वह गुण होता है जिसके कारण उस पर खिंचाव बल लगाने पर वह टूटती नहीं है, इसे टेनेसिटी (tenacity) का गुण कहते हैं |
इस गुण के कारण ही धातु खिंचाव बल को सहन कर लेती है |

9. मशीनता (machining)

यह धातु का वह गुण होता है जिसके कारण एक धातु से दूसरी धातु पर मशीनिंग (maching) क्रिया आसानी से की जा सकती है, इस गुण को मशीनता (machining) कहते हैं |
मशीनता (machining) के गुण के कारण ही धातु से बने औजारों (tools) के द्वारा दूसरी धातुओं को कटा या घिसा जा सकता है |

10. थकान प्रतिरोध (fatigue resistance)-

यह धातु का वह गुण है जिसके कारण उसे लगातार झटके लगाने पर भी उसे अंतिम समय तक टूटने से बचाता है, इसे थकान प्रतिरोध का गुण कहते हैं |
थकान प्रतिरोध (fatigue resistance) के गुण के कारण बड़ी-बड़ी मशीनें कम्पन्न तथा झटकों को सहन करती हैं |


अब हम जान चुके हैं धातु क्या होती है तथा धातु के भौतिक गुण एवं धातु के रासायनिक गुण क्या होते हैं | दोस्तों क्या यह पोस्ट आपके लिए मददगार था अगर इस पोस्ट से संबंधित आपके पास कोई शिकायत या सुझाव है तो हमें कमेंट करें

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