lauh dhaatuen (fairrous maitals) kya hotee hai | kachche lohe (pig iron) evam lauh ayask ke prakaar tatha lohe kee shodhan vidhi, vaatya bhattee (Blast Furnace), kachche lohe ke gun, evam kachche lohe ke upayog
दोस्तों इस पोस्ट में हम जानेंगे लौह धातुएं (Ferrous Metals) क्या होती है | कच्चे लोहे (Pig Iron) का परिचय और उसे प्राप्त करने की विधि एवं लौह अयस्क के प्रकार तथा लोहे की शोधन विधि, वात्या भट्टी (Blast Furnace), कच्चे लोहे के गुण, एवं कच्चे लोहे के उपयोग
लौह धातुएं (Ferrous Metals)
वे सभी धातुएं जिनमें लोहे का अंश उपस्थित होता है लौह धातुएं कहलाती है |
इन धातुओं में लोहे के अंश के अलावा बहुत कम मात्रा में कार्बन, गंधक, मैगजीन, एवं फास्फोरस आदि तत्व भी उपस्थित होते हैं |
इस वर्ग में लोहा, इस्पात और इसकी एलॉय भी शामिल होते हैं|
जब दो या दो से अधिक लोह धातुओं को मिलाकर कोई मिश्रित धातु बनाई जाती है तो हम उसे लोह मिश्र धातु (Ferrous Alloy Metal) कहते हैं |
जैसे- टंगस्टन इस्पात, क्रोमियम इस्पात, निकिल इस्पात आदि |
कच्चा लोहा (Pig Iron)
कच्चा लोहा एक अशुद्ध लोहा होता है, जिसको सीधे किसी कार्य में प्रयोग नहीं लिया जा सकता है |
लोहे को खानों से खोदकर निकाला जाता है लेकिन खान से प्राप्त लोहा शुद्ध नहीं होता है इसके साथ बहुत सी अशुद्धियां मिली होती है | इन अशुद्धियों को गैंग (Gangue) कहते हैं |
लौह अयस्क (Iron Ore)
लोहे और गैंग की मिश्रण को लोहा अयस्क (Iron Ore) कहा जाता है |लौह अयस्क (Iron Ore) एक खनिज पदार्थ होता है, जिसका उपयोग लोहे के उत्पादन में किया जाता है |
लौह अयस्क के प्रकार (Types Of Iron Ore )
लौह अयस्क कुल 5 प्रकार के होते हैं जो निम्नलिखित हैं |- हेमेटाइट (Haematite)
- मैग्नेटाइट (Magnetite)
- लिमोनाइट (Limonite)
- साइडराइट (Siderite)
- पायराइट (Pyrite)
हेमेटाइट (Haematite)
यह लोहे का एक लाल रंग का ऑक्साइड होता है |इसमें लगभग 70% तक लोहा होता है |
मैग्नेटाइट (Magnetite)
यह लोहे का काले रंग का ऑक्साइड होता है |इसमें लगभग 72 प्रतिशत लोहा होता है |
लिमोनाइट (Limonite)
यह लोहे का भूरे रंग का ऑक्साइड होता है |इसमें लगभग 60% तक लोहा पाया जाता है |
साइडराइट (Siderite)
यह लौह अयस्क भी लोहे की भूरे रंग का ऑक्साइड होता है |इसमें लगभग 48% तक लोहे की मात्रा उपस्थित होती है |
पायराइट (Pyrite)
इस लौह अयस्क का प्रयोग लोहे के उत्पादन में बहुत कम किया जाता है |क्योंकि इस में लोहे की मात्रा 40% से कम पाई जाती है | तथा इससे लोहा प्राप्त करने के लिए अधिक खर्च आता है |
लोहे की शोधन विधि (Purification Method Of Iron)
लोहे की अशुद्धियों को चार विधियों के द्वारा अलग किया जा सकता है | जो निम्नलिखित हैं |- सान्द्रण द्वारा (By Concentration)
- गुरुत्वाकर्षण द्वारा (By Gravity)
- चुंबकीय पृथक्करण द्वारा (By Magnetic System)
- स्मेल्टिंग द्वारा (By Smelting)
सान्द्रण द्वारा (By Concentration)
इस विधि में पहले लोहे के अयस्क को छोटे-छोटे टुकड़ों के रूप में तोड़ लिया जाता है फिर सांद्रण के द्वारा मिट्टी और दूसरी अशुद्धियों को साफ कर लिया जाता है |गुरुत्वाकर्षण द्वारा (By Gravity)
गुरुत्वाकर्षण विधि के अनुसार लोहा अयस्क को तोड़कर छोटे-छोटे टुकड़ों में पीस लिया जाता है |इसके बाद इन टुकड़ों को बहते हुए पानी में डाल दिया जाता है, जिसके कारण अशुद्धियां हल्की होने के कारण पानी के साथ रह जाती हैं तथा लोहा भारी होने की कारण नीचे बैठ जाता है |चुंबकीय पृथक्करण द्वारा (By Magnetic System)
इस विधि के अनुसार बारीकी से पिसे हुए लोहे के अयस्क को एक चुंबकीय पट्टे पर डाला जाता है |यह चुंबकीय पट्टा दो पुलियो के द्वारा चलाया जाता है |
इस विधि में लोहे के कण चुंबकीय पट्टे के साथ चिपक जाते हैं तथा अशुद्धियां नीचे गिर जाती हैं |
स्मेल्टिंग द्वारा (By Smelting)
किस विधि के द्वारा लौह अयस्क को साफ करने के लिए वात्या भट्टी (Blast Furnace) का प्रयोग किया जाता है |इस विधि में अशुद्धियां झाग के रूप में बाहर निकल जाती है | और शुद्ध लोहा एक तरफ एकत्रित हो जाता है |
इस विधि में लोह अयस्क को गाढ़ा करने के बाद वात्या भट्टी (Blast Furnace) के द्वारा पिंघलाकर कच्चा लोहा (Pig Iron) तैयार किया जाता है |
वात्या भट्टी (Blast Furnace)
यह भट्टी बनावट में चिमनी के आकार की होती है |इसका बाहरी भाग इस्पात की चादर (Sheet) से बना होता है एवं आंतरिक भाग में अग्नि सह ईटों (Fire Bricks) का स्तर बना होता है |इस भट्टी की ऊंचाई लगभग 15 मीटर से 30 मीटर तक तथा इसका व्यास 5 मीटर से 8 मीटर तक होता है |
इस के निचले भाग में बाहर निकलने वाले मार्ग बने होते हैं,
जिसमे एक भाग से पिंगली हुई धातु तथा दूसरे भाग से स्लेग या गंदगी समय-समय पर बाहर निकलते हैं |
इस के निचले भाग से थोड़ा सा ऊपर वायु प्रवाह के लिए पाइप लगे होते हैं, जिनमें वायु पंखे या ट्वीयर्स के द्वारा दी जाती है |
इन पाइपों में से लगभग 700 डिग्री सेंटीग्रेड से 800 डिग्री सेंटीग्रेड तक की गरम वायु प्रवाहित होती है |
इनको पानी से ठंडा किया जाता है | वायु ईंधन को जलाने में सहायक होती है |
भट्टी के ऊपरी भाग से चार्ज को भेजने के लिए कप और कोन की व्यवस्था होती है | इस भाग से चार्ज अंदर जाता है और गर्म अशुद्ध गैस बाहर निकल जाती है |
चार्ज (Charge)
वात्या भट्टी में इंधन या चार्ज के रूप में लोहे के साथ कोयला और चूने के पत्थर का निश्चित अनुपात प्रयोग किया जाता है |वात्या भट्टी की कार्यविधि (Functions Off Blast Furnace)
वात्या भट्टी के निचले श्री में लकड़ी जला कर ट्वीयर्स के द्वारा वायु को प्रवाहित किया जाता है और कप तथा कोन द व्यवस्था से लोहा, कोयला तथा चूने के पत्थर के मिश्रण को चार्ज के रूप में डालते हैं |जैसे ही चार्ज भट्टी के निचले हिस्से में पहुंचता है तो उसे अधिक ऊष्मा मिलती है, जिससे जिससे लोहा पिंगल कर पेंदे में इकट्ठा हो जाता है तथा अशुद्धियां स्लेज के रूप में तैरने लगती है |
इसके बाद पिंगले हुए लोहे तथा स्लेग को अलग-अलग रास्तों से बाहर निकाल लेते हैं |
इस पिंगली हुई धातु को सांचों में भर कर ठंडा कर लिया जाता है इसे ही कच्चा लोहा (Pig Iron) कहते हैं |
कच्चे लोहे के गुण (Properties Of Pig Iron)
कच्चे लोहे में निम्नलिखित गुण पाए जाते हैं |- कच्चा लोहा निम्न स्तर (घटिया) का लोहा होता है |
- यह लोहा कमजोर तथा भंगूर होता है |
- इस में कार्बन तथा अन्य अशुद्धियां अधिक मात्रा में पाई जाती हैं |
- कच्चे लोहे में 93% तक लोहा होता है तथा 4% तक कार्बन होता है | एवं शेष भाग में सल्फर, मैग्नीज, सिलिकन, और फास्फोरस अशुद्धियों के रूप में पाए जाते हैं |
कच्चे लोहे का उपयोग (Use Of Pig Iron)
जैसा कि हम जानते हैं कच्चे लोहे में कार्बन की मात्रा अधिक होती है तथा इसमें अन्य अशुद्धियां भी होती हैं |इसलिए इसका सीधा प्रयोग मशीन पुर्जे (Machine Parts) बनाने में नहीं किया जाता है |
कच्चे लोहे का उपयोग दूसरे प्रकार के लोहे तथा इस्पात बनाने में किया जाता है | जैसे- ढलवा लोहा (Cast Iron), पिटवा लोहा (Wrought Iron) और इस्पात(Steel) आदि
बनाने में किया जाता है |
दोस्तों इस पोस्ट में हमने जाना लौह धातुएं (Ferrous Metals) क्या होती है | कच्चे लोहे (Pig Iron) का परिचय और उसे प्राप्त करने की विधि एवं लौह अयस्क के प्रकार तथा लोहे की शोधन विधि, वात्या भट्टी (Blast Furnace), कच्चे लोहे के गुण, एवं कच्चे लोहे के उपयोग के बारे में
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