शीतलक (coolant) क्या है और इसके क्या लाभ है

 

दोस्तों इस पोस्ट में हम जानेंगे शीतलक (coolant) क्या होता है यह कितने प्रकार का होता है तथा इसके क्या लाभ हैं, शीतलक ओर स्नेहक मैं अंतर |

शीतलक (coolant)

जब हम किसी कार्यखण्ड या जॉब पर कटिंग का कार्य करते हैं तो बहुत अधिक ऊष्मा उत्पन्न होती है | इस ऊष्मा को अपने साथ बहाकर ले जाने वाले पदार्थ को हम शीतलक (coolant) कहते हैं |



अगर देखा जाए तो पानी एक अच्छा शीतलक (coolant) होता है और इसकी शीतल (cool) करने की क्षमता भी अच्छी होती है |
पानी का उपयोग उष्मा उपचार तथा रोलिंग कार्य में शीतलक के रूप में प्रयोग किया जाता है |
पानी एक सस्ता, आसानी से प्राप्त होने वाला, और ऊष्मा का अच्छा चालक तथा इसकी विशिष्ट ऊष्मा के आधार पर एक अच्छा शीतलक माना जाता है |
लेकिन पानी को जब हम शीतलक के रूप में प्रयोग करते हैं तो यह सावधानी बरतनी चाहिए की मशीन पर जंग नहीं लगे | इसके लिए सोडा वाटर मिश्रण को सस्ते शीतलक के रूप में प्रयोग करना चाहिए | यह सोडियम कार्बोनेट और पानी का मिश्रण होता है | जिसे गाढ़ा बनाने के लिए मुलायम साबुन मिला दिया जाता है | इसमें स्नेहन (lubricating) गुणों को बढ़ाने के लिए लॉर्ड तेल भी मिलाया जाता है |
टर्निंग, मीलिंग और ड्रिलिंग आदि संक्रियाओं (operations) के लिए सस्ते मिश्रण का प्रयोग किया जाता है | जिससे सोडियम कार्बोनेट लार्ड तेल तथा मुलायम साबुन बराबर बराबर मात्रा में मिलाकर शेष भाग में पानी को मिलाया जाता है, जिसे जलीय विलियन कहते हैं |

रासायनिक शीतलक (chemical coolant)

पानी के अंदर बहुत से रासायनिक अवयवों के घुले हुए मिश्रण को रासायनिक शीतलक कहते हैं | इनमें से कुछ अवयव स्नेहक (lubricant) के गुण को भी प्रदर्शित करते हैं |
शीतलक (coolant) का प्रवाह (flow) आंशिक शीतलन के द्वारा तन्यता (ductility) को कम करते हुए छीलन (chips) को तोड़ने का कार्य भी करता है |
शुद्ध शीतलक जंग निरोधक होते हैं |
रासायनिक शीतलको के उपयोग से मशीनन (machining) करते समय धातु को अधिक तेजी  से हटाया जा सकता है |
रासायनिक शीतलक अन्य शीतलको की तुलना में अधिक समय तक रहते हैं तथा छीलन (chips) को बैठने तथा प्राप्त करने में सहायक होते हैं |
केवल उन धातुओं को छोड़कर जिनमें शुष्क (dry) मशीनिंग लाभकारी होता है इनके अलावा सभी धातुओं में शीतलक (coolant) का प्रयोग किया जाता है |

शीतलक के लाभ (advantage of coolant)

अगर देखा जाए तो शीतलक के विभिन्न लाभ हैं कुछ विशेष लाभ के बारे में हम यहां दर्शा रहे हैं |
इसको अधिक उच्च चालो (high speed) पर प्रयोग किया जा सकता है |
इसके प्रयोग से औजारों (tools) का जीवनकाल बढ़ जाता है |
शीतलक का प्रयोग औजारों में धार लगाते समय किया जाता है |
अनेक शीतलक स्नेहक (lubricant) का कार्य करते हैं उनके प्रयोग से औजार(tools) तथा जॉब के बीच घर्षण कम होता है |

शीतलक का प्रयोग करते समय सावधानियां (precaution of coolant)

जब भी शीतलक का प्रयोग करते हैं तब हमें निम्नलिखित सावधानियां अपनानी चाहिए -
1. औजार की धार (cutting edge) तथा कार्य खंड या जॉब की सतह दोनों पर ही पर्याप्त मात्रा में प्रयोग करना चाहिए |
2. शीतलक की मात्रा को संक्रिया (operation) के अनुसार समायोजित (adjust) करना चाहिए |
3. शीतलक का बहाव अधिक दाब (high pressure) में नहीं होना चाहिए |
4. मशीन संक्रिया (machine operation) शुरू होते ही शीतलक का प्रवाह(flow) भी शुरू हो जाना चाहिए |
5. शीतलक को लगातार धार (jet) के रूप में प्रयोग किया जाना चाहिए |
6. कर्तन चाल (cutting speed) के बढ़ने के साथ-साथ शीतलक का प्रवाह भी बढ़ना चाहिए |
7.शीतलक (coolant) का टैंक एक बड़े आकार का होना चाहिए जिससे कि शीतलक हमेशा ठंडा रह सके |
8. कार्बाइड औजारों द्वारा मशीनिंग करते समय शीतलक (coolant) की आवश्यकता नहीं होती है |

शीतलक और स्नेहक में अंतर (difference between coolant and lubricants)

शीतलक और स्नेहक मैं अन्तर निम्नलिखित है -
1. शीतलक का प्रयोग कार्य खंड और कर्तन औजारों से उत्पन्न हुई उष्मा को दूर करने के लिए किया जाता है |
तथा स्नेहक का प्रयोग दो मिलकर चलने वाले पुर्जों की घर्षण द्वारा उत्पन्न ऊष्मा को कम करने के लिए किया जाता है |
2.शीतलक (coolant) के प्रयोग से छीलन को औजार के फलक के साथ वैर्ल्ड नहीं होता है |
तथा स्नेहक के प्रयोग से चलने वाले पुर्जे जाम नहीं होते हैं |
3. शीतला के प्रयोग से औजार की क्षमता बढ़ती है |तथा स्नेहन के प्रयोग से मशीन को उच्च गति पर चलाया जा सकता है |
4. शीतला के प्रयोग से कम शक्ति लगाकर अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है |
तथा स्नेहन के प्रयोग से भी कम शक्ति लगानी पड़ती है क्योंकि तेल की एक चिकनी परत संपर्क मे गति करने वाले पुर्जो के बीच बन जाती है |
5. शीतलक के प्रयोग से कार्य खंण्ड या जॉब पर अच्छी फिनिश आती है |
वही लुब्रिकेंट्स के प्रयोग से मशीन की यथार्थता लंबे समय तक बनी रहती है |
6. इन दोनों के ही प्रयोग से मशीन व औजारों का जीवनकाल बढ़ता है|
7. शीतल के प्रयोग से प्रयोग किए जाने वाले औजारों पर जंग नहीं लगता है |
तथा स्नेहक के प्रयोग से मशीन के पुर्जो पर जंग नहीं लगता है|

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