फोर्जिंग (Forging)किसे कहते हैं फोर्जिंग के प्रकार (Types Of Forging) फोर्जिंग के लाभ एवं हानि

 

दोस्तों म सुनील कुमार यादव iti fitter thoery में आपका स्वागत करता हु  | इस पोस्ट में हम जानेंगे फोर्जिंग (Forging)किसे कहते हैं फोर्जिंग के प्रकार (Types Of Forging)  हस्त फोर्जिंग (Hand Forging) मशीन फोर्जिंग (Machine Forging) स्टेशनरी फोर्ज (Stationary Forge) फोर्ज की बनावट (Construction of Forge) फोर्जिंग के लाभ एवं फोर्जिंग कि हानियां |

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फोर्जिंग (Forging)किसे कहते हैं

लोहारगिरी की कार्यशाला में स्टील (Steel) या रॉट ऑयरन (Wrought Iron) को मिट्टी में गर्म करके, चोट मारकर या फोर्जिंग मशीन से दबाव (Pressure) देकर विभिन्न आकृतियों में आवश्यकतानुसार परिवर्तन करने की विधि को ही फोर्जिंग कहते हैं। 

धातु को प्लास्टिक स्टेज तक गर्म कर लिया जाता है और कम बल पर उसकी आकृति में बदलाव लाया जा सकता है और धातु की अन्दरूनी संरचना में कोई हानि नहीं होती। 

पुराने समय में लोहार धातु के टुकड़े को गर्म करके उस पर हैमर से, चोट मारकर विशेष आकृति प्रदान करता था। उन्हीं विधियों को फोर्जिंग कहते हैं। 
आधुनिक युग में इस विधि में सुधार करके पावर हैमर, ड्रॉम हैमर या फोर्जिंग मशीन का उपयोग किया जाता है। 

फोर्जिंग के प्रकार (Types Of Forging)

1. हस्त फोर्जिंग (Hand Forging) 

इस विधि में जॉब को गर्म करने के बाद संडासी (Teng) की सहायता से एनविल (Anvil) पर रखा जाता है। गर्म जॉब को हैंड फोर्जिंग के औजारों (Forging Tools) से विभिन्न संक्रियाओं (Operations) के द्वारा आवश्यक आकार दिया जाता है। 

2. मशीन फोर्जिंग (Machine Forging) 

  • इस विधि में फोर्जिंग के कार्य पावर हैमर या फोर्जिंग मशीन द्वारा किये जाते हैं। 
  • इसमें डाइयाँ प्रयोग की जाती हैं, जो दो भागों में बनी होती हैं। 
  • डाई का अन्दर का भाग खोखला होता हैं, जिससे बनाये जाने वाले पार्ट की आकृति के अनुसार खाँचा बना होता है। डाई का ऊपरी भाग रिम (Rim) के साथ फिट होता है जबकि नीचे वाला भाग एनविल पर टिका होता हैं।
  • धातु को गर्म करके डाई के निचले भाग पर सैट करते हैं तथा ऊपर वाला भाग ऊँचाई से गिर कर जॉब को दबा देता है। इस प्रकार जॉब निश्चित आकृति की बन जाती है। 

फोर्जिंग भट्टी (Forge) 

  • फोर्जिंग शॉप में जॉब को आवश्यकतानुसार गरम करने के लिए जिस माध्यम का प्रयोग करते हैं, उसे भट्टी(Furnace) कहते हैं। 
  • कायों के अनुसार या माप के अनुसार भट्ठी (Founace) विभिन्न प्रकार की होती हैं। 

(A) स्टेशनरी फोर्ज (Stationary Forge) 

इस प्रकार की फोर्ज एक स्थान पर स्थित रहती है। 
इनका स्थान बदलना कठिन हो जाता है।
इसे आग की ईटों (Fire Bricks) के द्वारा बनाया जाता है। इसके निम्नलिखित भाग होते हैं |

1. हर्थ (Hearth)

फोर्ज के जिस मुख्य भाग पर धातु को रखकर गरम किया जाता हैं, उस भाग को हर्थ (Hearth) कहा जाता है। इस आग की ईंटों (Refractory or Fire Bricks) तथा चिकना मिद (Clay) द्वारा निर्मित किया जाता है। 

2. ट्युर्स (Tuyers)

इस फोर्ज के भाग को नोजल (Nozzle) कहते हैं। तेज हवा ट्यूर्स से होती हुई ईंधन तक जाती है। नोजल का जिलने से बचाने के लिए इसे रिफैक्टरी पदार्थों से ऊपर से ढका जाता है|

3. कुलिंग टैंक (Cooling Tank)

यह फोर्ज की पिछली साइड पर नोजल को ठंडा रखने के लिए बना होता है। इसे ठंडे पानी से भरा जाता है तथा ब्लोअर (Blower) से आ रही , हवा इस टैंक से गुजर कर ही नोजल में प्रवेश करती है। 

4. ब्लोअर (Blower)

यह फोर्ज में रखे ईधन (कोयला या कोक) को जलाने के लिए हवा की पूर्ति करता है। ब्लोअर को हाथों द्वारा विद्युत मोटर द्वारा चलाया जाता है। 

5. एअर वाल्व (Air Valve)

इसका प्रयोग हवा की पूर्ति को रेगुलेट (Regulate) करने के लिए किया जाता है। 

6. हुड और चिमनी 

फोर्ज के ऊपरी हिस्से को हुड (Hood) कहते हैं और इसी हुड के ऊपर चिमनी लगती है। इस चिमनी द्वारा धुआँ तथा धूल-कण बाहर निकाले जाते हैं। 
कोयले द्वारा उत्पन्न धुआँ विषैला होता है, इसलिए भट्टी ऐसी जगह हो जहाँ हवा आने-जाने (Good Ventilation) का प्रबन्ध हो। 
जहाँ तक संभव हो फोर्ज खुले स्थान में ही होनी चाहिए। 

7. क्वैचिंग टैंक (Ouenching Tank) 

फोर्ज के एक साइड  पर यह टैंक होता हैं, जिसमें पानी भरा होता है। 
इसका प्रयोग गर्म जॉब (Working) तथा टूल्स (Tools) को ठंडा करने के लिए करते हैं। इसका प्रयोग ऊष्मा उपचार की विधियों हार्डनिंग तथा टैम्परिंग के लिए भी करते हैं। 

8. कोयला टैंक (Coal Tank)

इसमें ईंधन को स्टोर करके रखा जाता है। साधारणतया ठोस ईधन कोयला, कोक तथा चारकोल ही इस टैंक में रखे जाते हैं।

फोर्ज के लिए सबसे उत्तम ईंधन (Best Fuel) स्टीम कोयला है। इसमें सल्फर की मात्रा कम होती है इसलिए इसे स्मिथ का ईंधन (Smith's Fuel) भी कहते हैं। 


(B) पोर्टेबल फोर्ज (Portable Forge) 

इसे हैंड फोर्ज भी कहते हैं इसे उठाकर कहीं भी रख सकते हैं। यह माइल्ड स्टील की प्लेट से बनाई जाती है। यह चार टाँगों वाले स्टैण्ड़ पर चौकोर या गोल बॉक्स के आकार में बनी होती है। 
• इसमें हवा के लिए हैंड ब्लोअर भी लगा होता है। 

फोर्ज की बनावट (Construction of Forge) 

फोर्ज की बनावट माइल्ड स्टील तथा लोहे के साधारण ऐंगल से बनाई जाती है। इसमें एक आग जलाने के लिए भट्टी बनाई हुई होती हैं, जो ईंटों (Fire Bricks) या चिकनी मिट्टी (Clay) से बनी होती है। ईंधन को जलाने के लिए भट्टी के नीचे से नोजल (Tuyers) अंगीठी के सम्पर्क में रहती है। इन नोजल का सम्पर्क (Connection) सीधा एयर ब्लोअर (Air Blower) से रहता है। 
एयर ब्लोअर को आवश्यकतानुसार हाथ से (By Hand) या विद्युत मोटर (Electric Motor) द्वारा चलाया जाता है। एयर-पाइपों में हवा को नियन्त्रित (Controlling) करने के लिए वाल्व लगे होते हैं। भट्टी (Forge) के नजदीक एक ठण्डे पानी की टंकी बनी होती हैं, जिससे गर्म औजारों को ठण्डा किया जाता है। 

भट्टी का जलाना(Lightening of Forge)

  1. भट्टी की अच्छी तरह सफाई कर लेनी चाहिये।
  2. भट्टी की तली में जूट डालकर उस पर ज्वलनशील तेल डालना चाहिये। 
  3. माचिस आदि से आग लगानी चाहिये और हल्की सी एयर ब्लोअर से हवा चलानी चाहिये।
  4. तत्पश्चात् कोयला डालना चाहिए। कोयला तब तक डालना चाहिय ,जब तक नोजल (Tuyers) के ऊपर लगभग 20 सेमी. मोटी कोयले की तह लग जाए।
  5. जब भट्टी जलकर बिल्कुल लाल हो जाए तब जॉब पर संक्रियाएँ (Operations) करनी चाहिये। 

ब्लोअर (Blower)

यह पंखे (Fan) के समान एक उपकरण होता हैं, जो फोर्ज में ईंधन जलाने के लिए हवा भेजने का कार्य करता है। ये हाथ से चलाए जाने वाले या पावर चालित होते हैं और सामान्यतया 3000 चक्कर प्रति मिनट (R.P.M.) की गति पर घूमते हैं। 

फोर्जिंग ईंधन (Forging Fuels)

भट्टी में धातु को गरम करने के लिए पत्थर का कोयला (Coal), कोक (Coke), लकड़ी का कोयला (Charcoal), तेल तथा गैंस (Oil and Gas)  का प्रयोग ईंधन के रूप में करते हैं। 
लुहार की भट्टी में प्रयोग किया जाने वाले ईधन में गन्धक (Sulphur) की मात्रा जितनी कम होगी, ईंधन उतना ही अधिक उपयोग होगा।
लकड़ी का कोयला (Charcol) सबसे अधिक उपयुक्त ईंधन है तथा अच्छी किस्म के इस्पात और मिश्र धातुओं (Alloys) को करने के लिए इसे प्रयोग किया जाता है। परन्तु यह महंगा में गन्धक (Sulphur)पड़ता है तथा इसकी ऊष्मा (Heat) अधिक देर तक स्थिर नहीं रहती।
पत्थर का कोयला (Coal) लुहार की भट्टी में बहुत प्रयोग किया जाता है।
कोल से वाष्पशील (Volatile) पदार्थ निकलते हैं। इसकी ऊष्मा (Heat) अधिक समय तक बनी रहती है तथा इसका कैलोरी मान (Calorific Value) अधिक होता है।
फोर्जिंग भट्टी के लिए सबसे अच्छा कोयला वह होता हैं, जिसमें लम्बी लपटें निकलती हैं।
बिना सल्फर और फास्फोरस वाला कोयला अच्छा माना जाता है क्योंकि ये तत्व धातुओं के लिए हानिकारक होते हैं। अधिक कार्बन वाल एन्थ्रेसाइट कोयला (Anthracite Coal) धीरे-धीरे जलता है और फोर्जिंग ऑपरेशन के लिए सबसे अच्छा रहता है। 

फोर्जिंग के लाभ (Advantages of Forging) 

  • धातु को बर्बाद (Wastage) होने से रोका जा सकता है। 
  • इससे समय की बचत होती है और धन की भी बचत होती है। 
  • धातु के अन्दरूनी संरचना में सुधार होता है और यान्त्रिक गुणों में विकास होता है।
  • फोर्जिंग से धातु में लचीलापन (Elasticity), और टफनैस (Toughness) बढ़ जाती है।

फोर्जिंग की हानियाँ (Disadvantages of Forging) 

  • फोर्जिंग विधि के द्वारा धातु की अन्दरूनी संरचना में परिवर्तन आने से इसके माप (Dimension) में बदलाव आ जाता है। अत: फोर्जिंग के पश्चात् मशीनिंग करके उसको शुद्ध करना पड़ता है। 
  • कई धातुएं जैसे ढलवा लोहा (Cast Iron) की फोर्जिंग नहीं की जा सकती क्योंकि गर्म होने पर यह धातु भंगुर (Brittle) हो जाती है |
  • कई बार धातु को गर्म करने पर दरारे (Cracks) आ जाती हैं, जिससे प्रयोग करने में असुविधा होती है। 
  • जब धातु को प्लास्टिक स्तर तक गर्म किया जाता है तो उसकी ऊपर सतह पर पपड़ी जम जाती है। इससे जॉब की फिनिशिंग-खराब हो जाती है। 

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