फोर्जिग सक्रियाएँ (Forging Operations) एवं स्टील की फोर्जिग(Forging of Steel)

 

इस पोस्ट में हम जानेंगे फोर्जिग सक्रियाएँ (Forging Operations) एवं स्टील की फोर्जिग के बारे में जैसे- बोल्ड ड्राइंग डाउन (Drawing Down)अपसैटिंग (Upsetting) बैंडिंग (Bending) आदि |

Forging-Operation,Forging-of-Steel


फोर्जिग सक्रियाएँ (Forging Operations) 

(1) बोल्ड ड्राइंग डाउन (Drawing Down)

  • इस संक्रिया में जॉब की मोटाई या व्यास को कम करके इसकी लम्बाई को बढ़ाया जाता है।
Drawing-Down


  • इस क्रिया को ड्राइंग आउट (Drawing out) भी कहते हैं।

(2) अपसैटिंग (Upsetting)

  • इस संक्रिया में जॉब की लम्बाई को कम करके जॉब की मोटाई या व्यास बढ़ाया जाता है।
Upsetting


  • इसके लिए लैन वाइस, हैथोडा तथा एनविल का प्रयोग करते हैं।
  • इस विधि को जम्पिंग अप भी कहते हैं। बोल्ट-हैड तथा रिवेट हैड इस क्रिया द्वारा बनाये जाते हैं।

(3) बैंडिंग (Bending)

  • धातु की जॉब को ठंडी अवस्था या गर्म अवस्था में मोड़ने को बैंडिंग कहते हैं।
  • बैंडिंग क्रिया द्वारा रिंग, हुक, आई बोल्ट तथा स्प्रिंग आदि बनाने के लिए एनविल बीक, स्वेज ब्लॉक, फुलर्ज, लैग वाइस तथा हैमर आदि औजार प्रयोग किए जाते हैं।

(4) कटिंग (Cutting)

  • धातु को ठण्डी या गर्म अवस्था में काटने की क्रिया को कटिंग कहते हैं। इसके लिए कोल्ड सैट तथा हॉट सैट का प्रयोग किया जाता है।
Cutting


  • कोल्ड सैट छैनी का कोण 45 से 60° तक होता है, जिससे पतली धातुएँ ठंडी अवस्था में काटी जाती हैं।
  • मोटी जॉब को लाल गर्म करके हॉट सैट द्वारा या हार्डी के प्रयोग द्वारा काटा जाता है। जबकि स्टील को 8509 से 900°C तक गर्म करके ही काटा जाता है।

(5) पंचिंग (Punching)

  • इस क्रिया में विभिन्न आकार के पंच द्वारा धातु की जॉब में सुराख किये जाते हैं।
  • बहुत पतली जॉब में सुराख ठंडी अवस्था में किये जाते हैं।
  • मोटी जॉब में सुराख उसे गर्म करने पर ही किये जाते हैं। 

(6) ड्रिफ्टिंग (Drifting)

  • पंच द्वारा किये गए सुराखों को बड़ा करने की क्रिया को ड्रिफ्टिंग कहते हैं।
  • इसके लिए विभिन्न प्रकार के ड्रिफ्टिंग औजार प्रयोग किये जाते हैं |

(7) फोर्ज वैल्डिंग (Forge Welding)

  • इस क्रिया में धातु के दो या दो से अधिक टुकड़ों को आपस में जोड़ा जाता है।
  • माइल्ड स्टील तथा रॉट आयरन के जॉब को इसी विधि द्वारा फोर्ज वैल्डिंग तापमान (12150 से 1400°C तक) गर्म करके जोड़ा जाता है।
  • फोर्ज वैल्डिंग में सुहागा फ्लक्स का प्रयोग करते हैं ताकि गर्म धातु की सतह वायु के सम्पर्क में आने से ऑक्सीडाइज (Oxidise) न हो सकें।
  • धातु के जिन टुकड़ों को आपस में जोड़ना होता है, उन्हें लाल गर्म करके एनविल के ऊपर रखकर हैमर के प्रयोग से चोट लगा कर जोड़ दिया जाता है।

(8) ट्विस्टिंग (Twisting)

  • इस क्रिया में जॉब को गर्म अवस्था में वाइस में बाँध कर मरोड़ा जाता है, जिससे सुन्दर आकृतियाँ बनती हैं।

(9) रिवेटिंग (Riveting)

  • इस क्रिया में धातु के दो टुकड़ों को गर्म अवस्था में रिवेट के द्वारा जोड़ा जाता है।
  • रिवेटिंग जोड़ दोनों प्रकार बट जोड़ (Butt Joint) या लैप जोड़ (Lap Joint) हो सकते हैं।

( 10 ) फिनिशिंग (Finishing)

  • फोजिंग कार्य करने के बाद जॉब में चमक लाने की क्रिया को फिनिशिंग कहते हैं। इसके लिए फ्लैटर, फुल्लर या स्वेजों का प्रयोग करते हैं।
  • कई बार जरूरत के अनुसार रेती का भी प्रयोग करते हैं।

स्टील की फोर्जिंग (Forging of Steel)

  • स्टील को गर्म करने पर यह नर्म हो जाती है तथा इसकी खिंचाव शक्ति (Tensile Strength) में कमी आ जाती है, लेकिन इसकी प्लास्टिसिटी (Plasticity) तथा आघातवर्ध्यता (Malleability) बढ़ जाती है।
  • स्टील की फोर्जिंग के लिए सही तापमान होना चाहिए। यदि वर्किंग तापमान (Working Temperature) कम हो जाए तो उसे दोबारा फिर गर्म किया जाता है ताकि उसमें प्लास्टिसिटी का गुण बना रहे।
स्टील का रंग तापमान के अनुसार इस प्रकार होता है -

तापमान                         रंग
500°C       -        चमकहीन भूरा (Dull Brown)
600°C       -        लाल
800°C       -        चमकहीन चैरी (Dull Chery)
1000°C     -        चमकदार चैरी (Bright Cherry) 
1100°C     -        पीला
1200°C     -        पीला-सफेद (Yellowish White)
1300°C     -        सफेद

  • स्टील को 1300°C से ऊपर गर्म करने पर हैमरिंग क्रिया करना मुश्किल हो जाता है।
  • विभिन्न फोर्जिंग-क्रियाओं के लिए तापमान इस प्रकार है। 
  • माइल्ड स्टील फिनिशिंग के लिए- 800°C तथा बैंडिंग के लिए 1300°C से 800°C एवं पंचिंग के लिए 700°C
  • हाई कार्बन स्टील फिनिशिंग के लिए- 800°C तथा बैंडिंग के लिए 1150°C-900°C
  • हाई स्पीड स्टील बैंडिंग के लिए 1100°C-950°C तथा फिनिशिंग के लिए-  1000°C
  • स्टील के लिए फोर्जिंग तापमान इसमें विद्यमान कार्बन की मात्रा तथा मिश्रित धातुओं की मात्रा पर निर्भर करता है। स्टील में कार्बन की 1.7% तक की मात्रा ही फोर्जिंग योग्य (Forgeable) होती है |
  • यदि फोर्जिंग क्रिया बहुत कम तापमान पर की जाए तो उसमें दरारें (Cracks) आ सकती है।
  • यदि तापमान अधिक हो जाए तो बाहरी सतह पर पपड़ी (Sealing) जम जाती है।
  • इसलिए सही तापमान पर ही स्टील को गर्म करके फोर्जिंग क्रिया करनी चाहिए।

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