इस पोस्ट में हम जानेंगे की लिमिट क्या है, यह क्यों जरूरी है, और यह कितने प्रकार की होती है तथा हाई लिमिट और लो लिमिट को जानेंगे
लिमिट क्या है
जॉब को बनाते समय उसके बेसिक साइंस से कुछ कम या अधिक बनाने की छूट दी जाती है | बेसिक साइज पर स्वीकृत अधिकतम तथा न्यूनतम सीमा जिस सीमा में पार्ट के साइज बनाए जा सकते हैं, उसे लिमिट (Limit) कहते हैं|
लिमिट को धन (+) या ऋण (-) चिन्हों से दर्शाया जाता है|
लिमिट क्यों जरूरी है
कार्यशाला में जब पुर्जो का उत्पादन किया जाता है तो कारीगर को पूर्जों के बेसिक साइजों को थोड़ा सा बड़ा या छोटा बनाने की छूट दी जाती है जिससे पुर्जो(parts) की गुणवत्ता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है क्योंकि कई कारण ऐसे होते हैं जिनके कारण पूर्जों(parts) को बिल्कुल परिशुद्ध साइज में नहीं बनाया जा सकता है|
इसके अतिरिक्त यदि पार्ट को सही परिशुद्ध बना भी लिया जाता है तो समय अधिक लगता है|
इसलिए पार्ट को बनाने के लिए सीमा निर्धारित कर दी जाती है की पार्ट को बेसिक साइज से कितनी सीमा से अधिक या कम साइज में बनाया जा सकता है|
इससे कारीगर(worker) को पुर्जे(parts) को सही साइज में बनाने में आसानी रहती है और इस सीमा में बने पुर्जे(parts) सही रहते हैं और वह अपना कार्य अच्छे ढंग से करते हैं|
इसीलिए हमें लिमिट की जरूरत होती है जिससे पार्ट्स को बनाने में आसानी हो सके|
लिमिट के प्रकार (types of limit)
लिमिट दो प्रकार की होती हैं|
1. हाई लिमिट(high limit)
2. लो लिमिट(low limit)
हाई लिमिट(high limit)
किसी पार्ट्स के बेसिक साइज पर स्वीकृत सीमा जिससे पुर्जे(parts) को अधिक से अधिक जिस सीमा में उसकी साइज को बनाया जा सकता है, उसे हाई लिमिट कहते हैं|
लो लिमिट(low limit)
किसी पार्ट के बेसिक साइज पर स्वीकृत सीमा जिससे पार्ट को कम से कम जिस सीमा में उसकी साइज को बनाया जा सकता है उसे लो लिमिट कहते हैं |
दोस्तों इस पोस्ट में हमने जाना की लिमिट क्या है, यह क्यों जरूरी है, और यह कितने प्रकार की होती है तथा हाई लिमिट और लो लिमिट, अगर आपको यह पोस्ट पसंद आया तो कृपया इसे शेयर करें और कमेंट करना ना भूलें|
धन्यवाद
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